जन्म कुंडली के इन योगों से जान सकते हैं आप कभी विदेश जा पाएंगे या नहीं

हर इंसान की इच्छा होती है कि वो जीवन में कम से कम एक बार विदेश यात्रा जरूर करे, लेकिन बहुत से लोगों की ये इच्छा सिर्फ इच्छा ही बनकर रह जाती है। आप कभी विदेश यात्रा कर पाएंगे या नहीं, इस सवाल का जवाब जन्म कुंडली देखकर पता लगाया जा सकता है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2021 3:33 AM IST

उज्जैन. कुंडली का आठवां, नवम, सप्तम और बारहवां भाव विदेश यात्रा से संबंधित होते हैं, जिनसे ये पता लगाया जा सकता है कि आप विदेश जा पाएंगे या नहीं। लग्न के अनुसार जानिए आपके इन सवालों के जवाब…

1. यदि मेष लग्न में लग्नेश तथा सप्तमेश जन्म कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ हों या उनमें परस्पर दृष्टि संबंध हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है। इसी तरह मेष लग्न में शनि अष्टम भाव में स्थित हो तथा द्वादशेश बलवान हो तो व्यक्ति कई बार विदेश यात्राएं करता है।
2. वृष लग्न में सूर्य तथा चंद्रमा द्वादश भाव में हो तो व्यक्ति विदेश यात्रा तो करता ही है बल्कि विदेश में ही व्यापार-व्यवसाय में सफल होता है। वृष लग्न का शुक्र केंद्र में हो और नवमेश नवम भाव में हो तो विदेश यात्रा का योग होता है।
3. यदि मिथुन लग्न के साथ लग्नेश तथा नवमेश का स्थान परिवर्तन योग हो तो विदेश यात्रा योग बनता है। मिथुन लग्न के साथ यदि शनि वक्री होकर लग्न में बैठा हो तो कई बार विदेश यात्राएं के योग बनते हैं।
4. कर्क लग्न के लोगों का लग्नेश व चतुर्थेश बारहवें भाव में स्थित होने पर निश्चित जातक को विदेश यात्रा का अवसर मिलता है। कर्क लग्न यदि लग्नेश नवम भाव में स्थित हो और चतुर्थेश छठे, आठवें या द्वादश भाव में हो तो कई विदेश यात्राएं होती हैं।
5. सिंह लग्न में गुरु, चंद्र 3, 6, 8 या 12वें भाव में बैठे हो तो विदेश यात्रा के योग बनते हैं। सिंह लग्न के लोगों में लग्नेश के द्वादश भाव में स्थित ग्रह अपनी उच्च राशि में स्थित हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।
6. कन्या लग्न में सूर्य स्थित हो व नवम व द्वादश भाव शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो विदेश यात्रा योग बनता है। लेकिन यदि सूर्य अष्टम स्थान में स्थित हो तो व्यक्ति पास के देशों की यात्राएं करता है। कन्या लग्न मे यदि लग्नेश, भाग्येश और द्वादशेश का परस्पर संबंध बने तो व्यक्ति को जीवन में विदेश यात्रा के अनेक अवसर मिलते हैं।
7. तुला लग्न में नवमेश बुध उच्च का होकर बारहवें भाव में स्वराशि में स्थित हो, राहु से प्रभावित हो तो राहु की दशा अंतर्दशा में विदेश यात्रा होती है। यदि चतुर्थेश व नवमेश का परस्पर संबंध हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।
8. वृश्चिक लग्न में पंचम भाव में अकेला बुध हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो अल्प आयु में विदेश यात्रा होती है। यदि वृश्चिक लग्न में चंद्रमा लग्न में हो, मंगल नवम स्थान में स्थित हो तो विदेश यात्रा का योग बनता है।
9. धनु लग्न में अष्टम स्थान का कर्क राशि का चंद्रमा व्यक्ति को कई बाद विदेश यात्रा कराता है। द्वादश स्थान में मंगल, शनि आदि पाप ग्रह बैठे हों तो भी विदेश यात्रा का योग बनता है।
10. मकर लग्न में सप्तमेश, अष्टमेश, नवमेश या द्वादशेश के साथ राहु या केतु की युति विदेश यात्रा का योग बनाती है। मकर लग्न, चतुर्थ और दशम भाव में चर राशि के किसी भी स्थान में शनि हो तो विदेश यात्रा होती है।
11. कुंभ लग्न में नवमेश व लग्नेश का राशि परिवर्तन विदेश यात्रा के योग बनाता है। कुंभ लग्न में भाग्येश द्वादश भाव में उच्च का होकर स्थित हो तो, दशम स्थान में सूर्य व मंगल की युति भी विदेश यात्रा का योग बनाती है।
12. मीन लग्न में पंचमेश, द्वितीयेश व नवमेश की लाभ (एकादश) भाव में युति विदेश यात्रा के योग बनाती है। मीन लग्न में लग्नेश गुरु नवम भाव में स्थित हो व चतुर्थेश बुध छठे, आठवें या द्वादश भाव में स्थित हो तो अनेक बार विदेश यात्रा का योग बनता है।

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