Vermicelli History in India : ईद पर सेवई खाने का रिवाज सदियों पुराना है, पर भारत में इसकी शुरुआत 19वीं सदी में मानी जाती है। पहले ईद पर सेंवई बनाने की परंपरा नहीं थी। कुछ हिस्सों में तो आज भी सेवइयां नहीं बनाई जाती हैं।
Sevai History : ईद पर मुस्लिम लोग अपने घरों में कई तरह के डिश बनाते हैं। इनमें सबसे खास होती है सेवईं। इससे एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया जाता है और ईद की मुबारकबाद दी जाती है। ईद और सेंवई का कनेक्शन तो हर कोई जानता है, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में पहली सेंवई कब बनी और किसने इस मीठी परंपरा की शुरुआत की? आइए जानते हैं ईंद पर सेवई का रिवाज कब और कैसे शुरू हुआ...
सेंवई का इतिहास काफी पुराना है और इसकी शुरुआत को लेकर कई मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि सेंवई (Vermicelli) की शुरुआत मध्य एशिया और अरब देशों से जुड़ी हैं। अरब व्यापारियों के जरिए यह भारत पहुंची और धीरे-धीरे यहां की खानपान संस्कृति का हिस्सा बन गई। कुछ इतिहासकारों के अनुसार, मुगल काल के दौरान भारत में सेंवई को लोकप्रियता मिली। मुगल बादशाहों के दरबार में शाही पकवानों में इसे खास जगह दी गई थी। वहीं, कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह परंपरा तुर्की, ईरान और अफगानिस्तान से होती हुई भारतीय उपमहाद्वीप तक पहुंची।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ईद पर मीठा खाने का रिवाज तो सदियों से रहा है लेकिन इस्लाम में सेवईं का इतिहास नहीं मिलता है। ईद पर इस मीठी चीज को खाने का कोई रिवाज भी नहीं रहा है। सऊदी अरब में सेवई के बजाय खजूर या मिठाईयां खिलाई जाती हैं। कहा तो यह भी जाता है कि मुहम्मद साहब भी ईद वाले दिन शहद और हलवा खाया करते थे।
इतिहासकार राना सफवी की किताब में सेवइयों से जुड़े कई किस्सों का जिक्र है। इसी में बताया गया है कि भारत में पहली बार सेवईं 19वीं सदी में बनी थी। लाल किले की एक शाही दावत में इसे बनाया गया था। तब बहादुरशाह जफर का साम्राज्य हुआ करता था। ईद के दिन उनके दस्तरख्वान में दूध की सेवइयां पकाई गई थीं। इसके बाद से ही भारत में ईद के दिन सेवइयों की मीठी परंपरा शुरू हुई और धीरे-धीरे ईद पर यह खास बन गई।