Nipah virus को लेकर ना हो कंफ्यूज, डॉक्टर महेश देव के बताए लक्षण और इलाज पर करें गौर

निपाह वायरस (Nipah virus) केरल के कुछ हिस्सों में चिंता का कारण बना हुआ है। कई लोग इस वायरस को लेकर काफी कंफ्यूज भी हैं। तो चलिए डॉक्टर की जुबानी इस वायरस के बारे में सबकुछ बताते हैं, ताकि आप सतर्क हो जाएं।

हेल्थ डेस्क.केरल के कोझिकोड में हालिया निपाह अलर्ट (Nipah virus alert) ने एक बार फिर पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है, जिससे पिछले प्रकोपों की गंभीर यादें ताजा हो गई हैं। कई लोगों की जिंदगी इस खतरनाक वायरस ने ले ली है। निपाह, एक ज़ूनोटिक वायरस है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। फिर एक इंसान से दूसरे इंसान में ट्रांसफर होता है। हाल ही में कोझिकोड में इस वायरस की वजह से दो लोगों की मौत हो गई। जबकि अभी 4 एक्टिव मामले पाए गए हैं।

निपाह वायरस से जुड़े कई बातों की जानकारी के लिए Asianet Newsable ने केरल ईएसआईसी स्पेशलिटी अस्पताल में सलाहकार पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. महेश देव से बातचीत की। जिसमें उन्होंने निपाह वायरस रोग क्या है और इसके लक्षण क्या इसके बारे में तमाम जानकारी दीं।

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निपाह वायरस कैसे फैलता है? (How does the Nipah virus spread?)

1. फल खाने वाले चमगादड़ इस रोग के वाहक होते हैं। चमगादड़ द्वारा खाए गए फल खाने से यह बीमारी इंसानों तक पहुंचती है।

2. यह चमगादड़ के स्राव (Secretion) से जानवरों तक पहुंचता है।

3. जानवरों के जरिए इंसानों में बीमारी फैलने की आशंका रहती है।

4. मानव-से-मानव यह फैलता है।

5.एयर से यह ट्रांसफर होता है इसके बारे में अभी पुष्टि नहीं हुई है।

निपाह वायर रोग का निदान कैसे करें? How to diagnose the disease?

डॉक्टर महेश देव के मुताबिक कोविड की तरह, इस बीमारी का निदान आरटी पीसीआर या रीयल-टाइम पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन द्वारा किया जाता है। मरीज के रोग का पता लगाने के लिए उसके गले और नाक के लिक्विड और ब्लड , पेशाब और सीएसएफ के नमूनों से टेस्ट किया जाता है।

Nipah virus के क्या लक्षण हैं? (What are the symptoms ?)

डॉ. महेश देव ने बताया कि एक बार वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है तो लक्षण दिखने में 5-14 दिन का वक्त लगता है। निपाह के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना, बेहोशी, दौरे, व्यवहार संबंधी असामान्यताएं, खांसी और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। इसके अलावा उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। गंभीर परिस्थितियों में एन्सेफलाइटिस, मस्तिष्क ज्वर या एआरडीएस (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) हो सकता है।

निपाह वायरस का इलाज (Nipah virus Treatment)

निपाह के लिए वर्तमान में कोई विश्वसनीय दवा या वैक्सीनेशन नहीं है। ट्रीटमेंट में रिबाविरिन, फेवी पिरावीर और रेमडेसिविर जैसी एंटीवायरल दवाओं का उपयोग शामिल है। ट्रीटमेंट में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है। डॉक्टर महेश देव ने कहा कि हमें पता होना चाहिए कि किसी भी बीमारी का इलाज रोगसूचक उपचार, सहायक उपचार और निश्चित उपचार के स्तर पर किया जा सकता है। निपाह को सहायक और रोगसूचक देखभाल मिल सकती है। इसलिए हमें रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity power) पर अधिक जोर देना चाहिए।

निपाह वायरस से बचाव

डॉक्टर महेश देव ने आगे लिखा कि जैसा कि पहले कहा गया है, चमगादड़ निपाह वायरस से यह सबसे पहले बीमारी फैलती है। इसलिए इसके द्वारा काटे गए फल, मलयुक्त पेय पदार्थ के पीने से यह वायरस फैल सकता है। इसलिए चमगादड़ों की अधिकता वाले क्षेत्रों में खुले बर्तनों में एकत्रित शराब लेने से बचें। कोई भी कटा हुआ फल ना खाएं। बीमारों की देखभाल करते समय, विशेष रूप से मेडिकल स्टाफ को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।

इसलिए, एन95 मास्क, दस्ताने, गाउन और फेस शील्ड पहनकर मरीज से बातचीत करना जरूरी है। यदि आपने बुखार से पीड़ित किसी व्यक्ति को छुआ है, तो अपने हाथों को 20 सेकंड तक अच्छी तरह धोएं। इसके अलावा-

1. कम से कम 1 मीटर की शारीरिक दूरी बनाए रखनी चाहिए।

2. निप के शव को ले जाते समय शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।

3. जितना हो सके निपाह से मरने वालों के पोस्टमार्टम के लिए जाने से बचें।

4. निपाह की उच्च मृत्यु दर (40-70%) अक्सर लोगों में डर पैदा करती है।

हालांकि, अब तक के सबूत बताते हैं कि निपाह उतनी तेज़ी से नहीं फैल सकता है। इसलिए ज्यादा चिंता करने की बजाए बीमारी के बारे में सटीक जानकारी और सटीक रोकथाम तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है।

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