अगर बच्चे पढ़ाई से कतराते हैं तो अपनाएं ये 5 टिप्स, साबित होंगे कारगर

अक्सर यह देखने में आता है कि बच्चे पढ़ाई से कतराते हैं। उनका मन खेल-कूद और दूसरी एक्टिविटीज में ही ज्यादा लगता है।
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 2, 2020 11:52 AM IST / Updated: Jun 02 2020, 08:00 PM IST

लाइफस्टाइल डेस्क। अक्सर यह देखने में आता है कि बच्चे पढ़ाई से कतराते हैं। उनका मन खेल-कूद और दूसरी एक्टिविटीज में ही ज्यादा लगता है। पेरेन्ट्स भी बच्चों पर पढ़ाई का दबाव बनाते हैं। अगर बच्चे पढ़ाई में ज्यादा समय नहीं देते और स्कूल में टेस्ट या एग्जाम में बेहतर परफॉर्मेंस नहीं कर पाते हैं तो पेरेन्ट्स उन पर गुस्सा भी होते हैं। वे उन्हें डांटते-फटकारते हैं। इसका बच्चों पर अच्छा असर नहीं होता। पेरेन्ट्स और टीचर को यह जरूर समझने की कोशिश करनी चाहिए कि बच्चे क्या चाहते हैं। बच्चे की पसंद-नापसंद को समझने की कोशिश करनी चाहिए। कभी मत भूलें कि हर बच्चे में प्रतिभा और क्रिएटिविटी होती है। बच्चे को मन पढ़ाई में लगे, इसके लिए पेरेन्टस को उसकी मदद करनी होती है। जानें कुछ टिप्स।

1. बच्चे की मदद करें
अगर बच्चे का मन पढ़ने में नहीं लगता है और वह पढ़ाई करते वक्त टाल-मटोल का रवैया अपनाता है तो यह समझने की कोशिश करें कि इसके पीछे क्या वजह है। कई बार पढ़ाई करने के दौरान जब बच्चे को कोई बात समझ में नहीं आती है, तब भी वह इससे दूर भागने लगता है। ऐसे में, पेरेन्ट्स को बच्चे की मदद करनी चाहिए। डांटने-फटकारने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता।

2. दोस्ताना व्यवहार करें
बच्चे को अनुशासन में रखना जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप हमेशा उस पर सख्ती बरतें। इससे बच्चों का मनोबल कमजोर होने लगता है और वे दब्बू स्वभाव के हो जाते हैं। बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करना चाहिए। तब वे अपनी समस्या आपको खुल कर बताएंगे। इससे आप बेहतर तरीके से उनकी मदद कर सकते हैं।

3. पढ़ने के लिए दबाव नहीं बनाएं
कुछ पेरेन्ट्स की आदत होती है कि वे हमेशा अपने बच्चों को पढ़ाई करने के लिए कहते रहते हैं। इससे बच्चे मानसिक दबाव महसूस करने लगते हैं। आप बच्चों पर दबाव बनाने की जगह उन्हें जिम्मेदारी का एहसास कराएं। जब बच्चों को लगेगा कि पढ़ाई करना उनकी जिम्मेदारी है, तो वे खुद समय से पढ़ने के लिए बैठ जाएंगे। आपको कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

4. बच्चों की क्रिएटिविटी को प्रोत्साहित करें
बच्चों में क्रिएटिविटी काफी होती है। कोई बच्चा चित्र बनाता है, तो किसी की संगीत और गाने में रुचि होती है। कोई बच्चा किसी खेल में ज्यादा बढ़िया परफॉर्मेंस करता है। इन सब बातों को ध्यान में रखना चाहिए। पढ़ाई का मतलब सिर्फ स्कूल की किताबें पढ़ना और एग्जामिनेशन में अच्छे मार्क्स लाना ही नहीं है। बच्चों की जिन बातों में रुचि हो, उसे बढ़ावा देना चाहिए।

5. पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल दें
बच्चों की पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल होना जरूरी है। उनके बैठने की जगह साफ-सुथरी होनी चाहिए। मेज-कुर्सी का सही इंतजाम होना चाहिए। किताबें रखने के लिए छोटी अलमारी होनी चाहिए। माहैल ठीक होने पर बच्चों का मन पढ़ने में लगता है। बच्चों को सिखाना चाहिए कि वे अपनी पढ़ाई की जगह को कैसे साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखें।     

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