कलश स्थापना: नवरात्रि में सुख-समृद्धि के लिए 7 वास्तु नियम

शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। घर में सुख-समृद्धि और शांति के लिए कलश स्थापना करते समय वास्तु नियमों का पालन जरूरी है। जानिए कलश स्थापना से जुड़े 7 महत्वपूर्ण वास्तु नियम।

शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है, और इसे सही तरीके से करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। बहुत से लोग शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दौरान कलश स्थापना करते हैं, शास्त्रों में कलश स्थापना के बिना पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है, तो वहीं कलश को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। घर की खुशहाली, मां की कृपा और सुख समृद्धि के लिए कलश स्थापना कर रहे हैं, तो वास्तु शास्त्र के अनुसार, कलश स्थापना करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना से जुड़े कुछ वास्तु नियम:

कलश स्थापना के दौरान करें इन वास्तु नियमों का पालन

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1. स्थान का चुनाव (Direction and Placement):

2. मिट्टी और जौ का महत्व:

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3. कलश की सामग्री:

4. पूजा सामग्री का चयन:

5. कलश स्थापना का समय (Muhurat):

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त ज्योतिष गणनाओं के आधार पर निर्धारित होता है। इसे नवरात्रि के पहले दिन (प्रतिपदा) ब्रह्म मुहूर्त या शुभ मुहूर्त में किया जाता है। गलत समय पर कलश स्थापित करना शुभ नहीं माना जाता। इसलिए आप अपने पंडित जी या किसी ज्योतिष एक्सपर्ट से कलश स्थापना की सही मुहूर्त के बारे में पूछ लें।

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6. सकारात्मक ऊर्जा का महत्व:

7. कलश की दिशा का ध्यान

 

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