Palmistry: अंगूठे के मुड़ने से भी तय होता है आपका नेचर और फ्यूचर, इसके तीन हिस्से भी देते हैं ये खास संकेत
Palmistry: हस्तरेखा शास्त्र में न सिर्फ हमारी हथेली की रेखाओं और चिह्नों बल्कि अंगुलियों व अंगूठे के आकार-प्रकार का भी ध्यान रखा जाता है। हमारा अंगूठा कितने डिग्री तक मुड़ सकता है, इस आधार पर इसके तीन प्रकार बताए गए हैं।
हस्तरेखा शास्त्र बहुत ही विशाल है। इसमें हथेली की रेखाओं सहित अंगुलियों व अंगूठे के आकार-प्रकार के बारे में काफी कुछ बताया गया है। अंगूठा कितनी डिग्री तक मुड़ सकता है, उसके आधार पर भी गहन विश्लेषण किया गया है। हथेली से बिलकुल चिपके रहने वाले अंगूठे न्यूनकोण कहलाते हैं। दूसरी श्रेणी में समकोण अंगूठे आते हैं और तीसरे अंगूठे होते वे होते हैं जो अधिक कोण बनाते हैं। एशियानेट हिंदी ने अपने पाठकों के लिए हस्तरेखा की एक सीरीज शुरू की है, हस्तरेखा से जानें भविष्य। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको अंगूठे से जुड़ी ये खास बातें बता रहे हैं…
1. न्यूनकोण अंगूठा
हथेली व तर्जनी अंगुली के साथ इस प्रकार के अंगूठे का विस्तार क्षेत्र 40° डिग्री से 80° डिग्री तक रहता है। इनकी लम्बाई बहुत ही कम होती है जो कि कठिनता से तर्जनी के निचले पोर की प्रथम सन्धि रेखा तक ही पहुंचते हैं। ऐसे लोग शारीरिक रूप से काफी मजबूत होते हैं। इनका शरीर छोटा और गठीला होता है। ऐसे लोग मध्यमवर्गी जीवन जीते हैं। ये ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाते। इनका जीवन पैसों की तंगी में गुजरता है।
2. समकोण अंगूठा
हथेली से जुड़ते समय तर्जनी से समकोण 90° से 95° डिग्री के मध्य सीधे दिखाई देने वाले इन अंगूठे वाले लोग दिखने में सुंदर और आकर्षक होते हैं। ऐसे लोग व्यावहारिक व समझदार होते हैं। ऐसे लोग अपनी धुन के पक्के होते हैं। इनमें बदला लेने की प्रवृत्ति काफी अधिक होती है। ये किसी के आगे झुकना पसंद नहीं करते। ये मेहनती भी काफी होते हैं। कभी-कभी इनका रौबीला स्वभाव इनके लिए परेशानी का कारण बन जाता है।
3. अधिक कोण अंगूठा
ये वो अंगूठा होता है जो 95° से 180° तक झुक या मुड़ सकने के कारण तर्जनी के साथ अधिक कोण बनाता है। ऐसे लोग बहुत इमोशनल होते हैं। इनकी शिक्षा काफी उन्नत होती है। लोगों की परेशानी देखकर ये भी दुखी हो जाते हैं। इनका शरीर लंबा होता है। कला, संगीत, विज्ञान, मन्त्र व औषधि आदि विद्याओं के प्रति इनकी रूचि होती है। ऐसे लोग फिजूलखर्ची, दानी, त्यागी व साहसी होते हैं।
1. पहला पोर
अंगूठे को तीन भाग यानी पोर होते हैं। इनमें से पहला पोर सबसे ऊपर होता है यानी नाखून के पीछे वाला भाग। जिस व्यक्ति के अंगूठे का पहला पोर अत्यंत लम्बा होता है, उसकी तर्क शक्ति काफी अधिक होती है। ऐसे लोग अपनी इच्छा शक्ति के बल पर समाज में नया मुकाम हासिल करते हैं। इन्में कुछ बनने की लगन बचपन से ही होती है।
2. दूसरा पोर
ये अंगूठे के बीच का हिस्सा होता है। अंगूठे का ये हिस्सा असर प्रथम पोर से अधिक लंबा हो तो व्यक्ति शान्तिप्रिय होता है। ऐसे लोग हर काम सोच-विचार कर करते हैं। इसलिए इन्हें सफलता मिलती है। ऐसे लोग अक्सर दूसरों की बात को महत्व नहीं देते हैं, यही इनकी खराब आदत होती है। ये अत्यधिक बातूनी भी होते हैं।
3. तृतीय पोर
ये अंगूठे के सबसे नीचे का हिस्सा होता है जो हथेली से जुड़ा होता है। ये हिस्सा काफी छोटा भी होता है। अंगूठे का ये भाग पुरुष या स्त्री की विषय वासना की ओर इशारा करता है। ऐसे लोग समाज में सम्मानीय जीवन जीते हैं। प्रेम के चक्कर में यह जीवन-मरण की स्थिति तक पहुंच जाता है। ऐसे लोग छोटी-छोटी बातों पर विचलित हो जाते हैं।
लेखक परिचय राजेन्द्र गुप्ता ज्योतिष जगत में एक जाना-पहचाना नाम है। आप वर्तमान में अजमेर (राजस्थान) में रहकर हस्तरेखा विषय पर निरंतर शोधपरक कार्य कर रहे हैं। आपने एम.ए. दर्शनशास्त्र में स्वर्णपदक प्राप्त किया है। साथ ही इतिहास और राजनीति शास्त्र विषयों पर भी आपने एम. ए. किया है। साहित्यागार प्रकाशन जयपुर से हिंदी व्याकरण पर आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। रेडियो-टीवी पर भी आपकी कई खोजपरक रिपोर्ट और वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
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