Panch Badri Temple: कहां हैं ‘पंच बद्री मंदिर’, क्या है इनकी मान्यता, किन ग्रंथों में मिलता है इनका वर्णन?

Panch Badri Temple: इन दिनों उत्तराखंड में चार धाम यात्रा चल रही है। इन चार धाम में बद्रीनाथ का मंदिर भी शामिल है, जिसे बद्रीविशाल भी कहते हैं। उत्तराखंड में ही पंच बद्री भी स्थित है, ये 5 मंदिरों का एक समूह है।

 

Manish Meharele | Published : May 20, 2024 10:12 AM IST

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चार धामों में से एक है बद्रीनाथ

Panch Badri Temple Details: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है यानी देवताओं की भूमि। यहां अनेक प्राचीन मंदिर स्थित है, बद्रीनाथ का मंदिर भी इनमें से एक है। ये मंदिर उत्तराखंड के 4 धामों के साथ-साथ भारत के 4 धामों में से भी एक है। इस मंदिर से जुड़ी अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं। उत्तराखंड में ही पंच बद्री भी स्थित है। ये 5 मंदिरों का एक समूह है। इनके नाम हैं- बद्रीनाथ, योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री। आगे जानें पंच बद्री का महत्व…

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श्री बद्री नारायण

ये पंच बद्री मंदिरों में सबसे प्रमुख है। ये उत्तराखंड के 4 धाम के साथ-साथ देश के प्रमुख 4 धामों में से भी एक है। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने तपस्या की थी। इस मंदिर की स्थापना स्वयं आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति यहां आकर बद्रीविशाल के दर्शन करता है, वह जन्म-मृत्यु के बंधंनों से मुक्त हो जाता है।

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आदिबद्री

पंच बद्री में दूसरे स्थान पर है आदि बद्री। ये मंदिर उत्तराखंड के चमोली में स्थित है। आदि बद्री को पंच बद्री में सबसे पुराना माना जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की काले पत्थर से बनी प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। ये मूर्ति ध्यान अवस्था में है। मूर्ति के चारों ओर हाथी हैं, जो शक्ति और स्थिरता का प्रतीक माने जाते हैं।

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वृद्ध बदरी

ये मंदिर भी चमोली में है। इस मंदिर का वर्णन अनेक हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलता है। यहां भी भगवान विष्णु की काले पत्थर की मूर्ति है। वृद्ध बद्री को मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है यानी ऐसी मान्यता है कि वृद्ध बद्री के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

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योग-ध्यान बद्री

ये मंदिर पंच बद्री में चौथा स्थान पर है। ये मंदिर भी चमोली में ही है। योग-ध्यान बद्री को भगवान बद्रीनाथ का शीतकालीन निवास भी कहा जाता है। यानी ऐसी मान्यता है कि शीतकाल के दौरान जब मुख्य बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं तो वे यहां आकर निवास करते हैं। इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण और महाभारत में भी मिलता है।

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भविष्य बद्री

ये मंदिर भी चमोली में है। भविष्य बद्री का अर्थ है भविष्य का बद्रीनाथ। मान्यता है कि कलयुग के अंत में जब मुख्य बद्रीनाथ मंदिर जाने के रास्ते बंद हो जाएंगे तो भक्त यहीं पर दर्शन कर बद्रीनाथ के दर्शन का फल प्राप्त कर सकेंगे। यहां भी भगवान विष्णु की काले पत्थर की मूर्ति है।


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