उज्जैन. हस्तरेखा शास्त्र में हथेली की रेखाओं, निशान, अंगुलियों के साथ-साथ अंगूठे के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है। बिना अंगूठे के अंगुलियां किसी काम की नहीं क्योंकि हाथ की पकड़ तभी मजबूत बनती है जब अंगुलियों के साथ-साथ अंगूठे का भी साथ हो। हस्तरेखा शास्त्र में अंगूठे को इच्छा शक्ति का प्रतीक माना गया है। अंगूठे में तीन पोर यानी हिस्से होते हैं। इनें से दो भाग तो हथेली के बाहर निकले हुए दिखाई देते है और तीसरा पोर हथेली का निर्माण करता है जो शुक्र पर्वत से जुड़ा होता है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, अंगूठे को देखकर भी व्यक्ति के नेचर और उसके विचारों के बारे में जाना जा सकता है। आगे जानिए अंगूठे के अनुसार व्यक्ति के नेचर और फ्यूचर से जुड़ी खास बातें…