सार

Ayudha Puja 2024: नवरात्रि के दौरान हमारे देश में कईं तरह की परंपराएं निभाई जाती हैं। आयुध पूजा में इन परंपराओं में से एक है। इस परंपरा के अंतर्गत वाहनों और उपकरणों की पूजा की जाती है।

 

Ayudha Puja 2024 Detail: नवरात्रि के अंतिम दिन देश के अनेक हिस्सों में आयुध पूजा की जाती है। इस परंपरा के अंतर्गत लोग इस दिन अपने-अपने वाहनों और जीविका में उपयोग आने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं। इस बार नवरात्रि की अंतिम तिथि को लेकर पंचांगों में भेद बताया जा रहा है, जिसके चलते लोगों में ये संशय बन रहा है कि इस बार आयुध पूजा कब की जाए? उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानें इस बार कब करें आयुध पूजा…

कब करें आयुध पूजा 2024?
आयुध पूजा शारदीय नवरात्रि की जाती है। इस बार कुछ पंचांगों में नवमी तिथि की डेट 11 तो कुछ में 12 अक्टूबर बताई जा रही है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस बार आयुध पूजा 11 अक्टूबर, शुक्रवार को की जाएगी, क्योंकि इस दिन नवमी तिथि दिन भर रहेगी। आयुध पूजा की परंपरा कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना आदि प्रदेशों में मुख्य रूप से निभाई जाती है। इस दिन शिल्पकार अपने औजारों की पूजा करते हैं। आगे जानिए आयुध पूजा से जुड़ी खास बातें...

आयुध पूजा के शुभ मुहूर्त (Ayudha Puja 2024 Shubh Muhurat)
- सुबह 06:26 से 07:53 तक
- सुबह 07:53 से 09:19 तक
- दोपहर 12:13 से 01:40 तक
- शाम 04:34 से 06:00 तक

कैसे करें आयुध पूजा? (Ayudha Puja 2024 Ki Vidhi)
- 11 अक्टूबर, शुक्रवार को आयुध पूजा करने से पहले सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएं।
- साफ वस्त्र पहनें। जो भी उपकरण आपकी आजीविका का साधन हैं, उसकी पूजा इस दिन करनी चाहिए।
- अपने उपकरण को कुमकुम का तिलक लगाएं। फूल चढ़ाएं और मौली (पूजा का धागा) बांधें।
- पूजा के बाद हाथ जोड़कर उपकरणों को धन्यवाद दें क्योंकि उन्हीं के सहयोग से आपका जीवन चल रहा है।
- अंत में उन उपकरणों की आरती भी करें। इस तरह आयुध पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

क्यों की जाती है आयुध पूजा? (Kyo Karte hai Ayudha Puja)
- पुराणों के अनुसार, महिषासुर नाम का एक दैत्य था। जब उसने आंतक काफी बढ़ गया तो सभी देवताओं ने मिलकर मां शक्ति का आवाहन किया जिससे देवी दुर्गा प्रकट हुईं। सभी देवताओं ने देवी दुर्गा को अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। इन्हीं की सहायता से देवी ने महिषासुर का वध किया। इस युद्ध में शस्त्रों ने अहम भूमिका निभाई थी। अस्त्रों के महत्व को समझते हुए ही विजयादशमी पर आयुध पूजा की परंपरा बनाई गई जो आज तक चली आ रही है।

 

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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।