सार
आज बड़ी आबादी ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम का शिकार है। अक्सर ज्यादा देर तक ट्रैफिक में रहने से फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की हेल्थ प्रभावित हो रही है। इसकी वजह से कई तरह की समस्याएं बढ़ रही हैं, जिसका असर भी शरीर पर देखने को मिलता है।
ऑटो डेस्क : क्या आपका भी ज्यादातर समय ट्रैफिक की शोरगुल में बीत रहा है? क्या आप भी हर दिन ट्रैफिक से जूझ रहे हैं? तो संभल जाइए, क्योंकि यह न सिर्फ आपको दिमागी तौर पर बीमार बना रहा है, बल्कि आपको शारीरिक तौर पर कमजोर भी कर रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आज भारत में अधिकतर लोग कम से कम 3-6 घंटे हर दिन ट्रैफिक में बिता रहे हैं। यह वक्त को बर्बाद कर ही रहा है, सेहत को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। मेडिकल भाषा में इसे ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम (Traffic Stress Syndrome) कहा जाता है। कार्बन फुटफ्रिंट बढ़ने से भी कई तरह की समस्याएं हो रही हैं। आइए जानते हैं क्या है यह बीमारी, इसके लक्षण और इससे बचने का उपाय...
ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम से बचके
यह स्ट्रेस से जुड़ी एक तरह की समस्या है, जो ज्यादा देर ट्रैफिक में गुजारने से होती है। इसकी वजह से फिजिकल और साइकोलॉजिकल नुकसान हो रहा है। इसे एनवायर्नमेंटल स्ट्रेस सिंड्रोम भी माना जाता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि ट्रैफिक में गाड़ियों के हॉर्न की आवाज, एयर पॉल्यूशन, रोड रेस की भावना, ट्रैफिक से जुड़ी दूसरी वजहें इस तरह के सिंड्रोम को बढ़ावा दे रही हैं।
ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम से क्या-क्या समस्याएं हो रही हैं
- फिजिकल और मेंटल हेल्थ प्रभावित हो रही है।
- अक्सर सिरदर्द, थकान, चिंता, डिप्रेशन और धड़कनों का बढ़ जाना है।
- ध्यान केंद्रित न हो पाना, किसी काम में मन न लगना, दिमाग कमजोर होना, याददाश्त कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- दिल और सांस से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा।
- ट्रैफिक में ज्यादा देर रहने से स्ट्रेस हार्मोन का लेवल बढ़ने से नींद में परेशानी आ रही है।
- शरीर में थकान रहने से ध्यान केंद्रित करने में समस्या आती है।
ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम से बचने के उपाय
- ट्रैफिक में जितना हो सके जाने से बचने की कोशिश करें।
- वायु प्रदूषण और शोरगुल से खुद को बचाकर रखें।
- स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक से मेंटल हेल्थ को मजबूत बनाएं।
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