सार

बिहार में भगवान को बुधवारी पूजा में गोरिया बाबा को शराब चढ़ाने की परंपरा ने छीनी लोगों की जिंदगी। पूजा के बाद  बांटी गई थी जहरीली शराब जिससे 100 से ज्यादा लोग बीमार हो गए थे वहीं अभी तक 11 लोगों की जान जा चुकी है, तो 4 अभी भी गंभीर हालत में इलाजरत है...

छपरा (बिहार). बिहार के छपरा जिले में भगवान को शराब चढ़ाने की परंपरा के कारण 11 लोगों को जान से हाथ गंवाना पढ़ा। इसके अलावें चार और गंभीर हालत में है। जिनका इलाज पीएमसीएच में चल रहा है। सावन के अंतिम बुधवार को यहां गवई देवता गोरिया बाबा को शराब चढ़ाने की परंपरा है। मौत के कारणों में एक बड़ा कारण गवई पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में शराब का सेवन बताया जा रहा। दरअसल, नोनिया टोली में बुधवार को गवई देवता गोरिया बाबा की पूजा सम्पन्न हुई थी। पूजा खत्म होने के बाद प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई गई। और प्रदेश में शराब बंदी के कारण गांव वालों को जो भी अवैध में शराब मिली उसे ही उपयोग में लेकर उसी को प्रसाद के रूप में सभी लोगों को बांटा गया, जिसके सेवन के बाद लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी और एक के बाद 11 लोगों की मौत हो गई। 

सदियों से गांव में हो रही है गोरिया बाबा की पूजा
स्थानीय लोगों का कहना है कि गवई पूजा गांव की पारंपरिक पूजा है। सदियों से गांव के लोग इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे है। नोनिया समाज में इस पूजा का आयोजन सावन के बुधवार को किया जाता। कई जगह इस पूजा को बुधवारी पूजा भी कहा जाता है। सामान्य तौर पर नोनिया समाज मे बंदी सती माता और गोरिया बाबा का एक साथ पूजन किया जाता। दोनों देवी देवता समाज के रक्षक के प्रतीक में माना जाते है। गोरिया बाबा का पूजा घर के आंगन और गांव में किया जाता है। जबकि बंदीसती का घर में बने विशेष पूजन कक्ष में पूजा होता है। गोरिया बाबा के बारे में मान्यता है कि परिवार और समाज के ऊपर आने वाली किसी भी तरह की परेशानी को रोकने के लिए लोग यह पूजा करते है। नोनिया समाज के लोग गोरिया बाबा का पूजन विशेष विधि से करते हैं।

गोरिया बाबा को खुश करने के लिए चढ़ाते हैं शराब
ग्रामीणों के अनुसार, मकेर में गोरिया बाका के पूजन में गेहूं के आटा का लोइयां को दो हिस्से में करके उसके ऊपर मिठाई और सिंदूर लगाया जाता। फिर उसे गोरिया बाबा को चढ़ाया जाता है। इसके बाद गोरिया बाबा को खुश करने के लिए शराब का भोग लगाया जाता। जिसका सेवन समस्त परिवारजनों द्वारा प्रसाद के रूप में किया जाता। इसके अलावा जिसके घर में कोई शुभ काम संपन्न होने के बाद गारिया बाबा का विशेष पूजन किया जाता है। मदिरा, मांस भी भगवान को चढ़ाया जाता है। बकरा, मुर्गे का बलि देकर मांस को भी प्रसाद के रूप में बांट कर खाया जाता।

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