सार
केन बेतवा लिंक परियोजना से सबसे ज्यादा फायदा बुंदेलखंड क्षेत्र को होगा। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में आने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में दोनों राज्यों के कुल 13 जिले आते हैं। इससे मध्यप्रदेश के पन्ना, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा और दतिया, वहीं उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले शामिल हैं।
भोपाल : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को देश के सामने वित्तीय बजट (Budget 2022) पेश किया। इस दौरान बुंदेलखंड को सौगात देते हुए उन्होंने बताया कि केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए बजट में 1400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से संसद में पेश किए जा रहे बजट में इसकी घोषणा की गई है। केन-बेतवा लिंक परियोजना (ken betwa link project) को मोदी सरकार की स्वीकृति तो पहले ही मिल चुकी थी, यह योजना मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh)और उत्तर-प्रदेश ( Uttar Pradesh) में आने वाले बुंदेलखंड अंचल के लिहाज से बेहद अहम है। इस परियोजना के आगे बढ़ने से औद्योगिकीकरण होने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और पूरे क्षेत्र में पेयजल का संकट भी खत्म होगा।
विकास में मील का पत्थर साबित होगा
विशेषज्ञों और जानकारों की माने तो ये प्रोजेक्ट बुंदेलखंड (Bundelkhand) के विकास की नई इबारत लिखने में मील का पत्थर साबित होगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने इसको लेकर ट्वीट करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का आभार जताया है। उन्होंने कहा है कि इससे परियोजना को गति मिलेगी और बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि आएगी। मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश का महत्वकांक्षी केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का काम अब जल्द धरातल पर आने के आसार बढ़ गए हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए कैबिनेट की मंजूरी पहले ही मिल चुकी थी और अब बजट में भी इस प्रोजेक्ट के लिए 1400 करोड़ की राशि का आवंटन किया गया है।
सिंचाई की सुविधा, पीने का पानी मिलेगा
दरअसल दशकों से बुंदेलखंड क्षेत्र सूखे का शिकार है। इस कारण क्षेत्र में व्यापक गरीबी के कारण अन्य जिलों की तुलना में यहां से पलायन भी बहुत ज्यादा है। परियोजना की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके जरिए 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई की जद में आएगी। इसके अलावा 62 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा। परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश में दो बैराज और मध्यप्रदेश की नदियों पर सात बांध बनाए जाएंगे। 103 मेगावाट हाइड्रो पावर और 27 मेगावाट सोलर पावर का उत्पादन होगा।
बुंदेलखंड की बदल जाएगी तस्वीर
केंद्र सरकार ने 44 हजार 605 करोड़ रुपये की लागत वाली केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना को स्वीकृति दी है। इससे मध्यप्रदेश के पन्ना, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा और दतिया जिले को सिंचाई और पेयजल के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। नवंबर से मई तक दौधन बांध से मध्य प्रदेश को 1834 मिलियन क्यूबिक मीटर यानी 1834 अरब लीटर और उत्तर प्रदेश को 750 एमसीएम यानी 750 अरब लीटर पानी मिलेगा। सामान्य वर्षाकाल में मध्य प्रदेश को दो हजार 350 और उत्तर प्रदेश को एक हजार 700 एमसीएम सालाना पानी मिलेगा।
इन जिलों को होगा फायदा
केन बेतवा लिंक परियोजना से सबसे ज्यादा फायदा बुंदेलखंड क्षेत्र को होगा। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में आने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में दोनों राज्यों के कुल 13 जिले आते हैं। इससे मध्यप्रदेश के पन्ना, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा और दतिया जिले शामिल हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले शामिल हैं।
क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना
केंद्र सरकार ने नदियों को जोड़ने के लिए एक नेशनल प्रेसपेक्टिव प्लान बनाया था। इस प्लान के तहत केन बेतवा लिंक परियोजना पहला प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट के तहत केन नदी का पानी बेतवा नदी को ट्रांसफर किया जाएगा। दोनों नदियों को जोड़ने के लिए 221 किलोमीटर लंबी केन बेतवा लिंक नहर बनाई जाएगी, इसमें किलोमीटर लंबी टनल भी बनाई जाएगी। केन-बेतवा लिंक नहर से झांसी के सभी नहर, तालाब एवं डैम भी भरे जा सकेंगे। सपरार, खपरार, लखेरी जैसे सूखे बांध भी भर जाएंगे। परियोजना के लिए मध्य प्रदेश के पन्ना में केन नदी पर दौधन बांध बनेगा। इससे 221 किलोमीटर लंबा लिंक चैनल निकलेगा। यह बरुआसागर के पास से बेतवा नदी को पानी उपलब्ध कराएगा। परियोजना के अंतर्गत बरियारपुर पिकप वीयर के डाउनस्ट्रीम में दो नए बैराज बनेंगे। यहां करीब 128 एमसीएम पानी का भंडारण होगा। अभियंताओं के मुताबिक बरियापुर पिकप वीयर, परीछा, वीयर, बरूआ सागर में बांध निर्माण एवं पुनस्थापना का कार्य होगा। झांसी को प्रेशराइज्ड पाइप सिस्टम एवं माइक्रो-इरीगेशन सिस्टम का फायदा मिलेगा। हमीरपुर स्थित मौदहा बांध को बेतवा लिंक नहर से जोड़कर बांध भरा जाएगा।
कब हुआ परियोजना के लिए समझौता
परियोजना के लिए सबसे पहले मध्यप्रदेश, उत्तर-प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच साल 2005 में समझौता हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में एमपी और यूपी दोनों प्रदेशों के बीच अनुबंध हुआ था। तब एमपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन जल बंटवारे सहित अन्य मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाने के कारण इस पर काम प्रारंभ नहीं हो पा रहा था। 22 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता अनुबंध हुआ। इसके बाद परियोजना के लिए मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर भी हुए थे। इस पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने हस्ताक्षर किए थे। इसके अनुसार करोड़ों रुपये की लागत वाली इस परियोजना में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी, जबकि शेष 5-5 प्रतिशत हिस्सेदारी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश सरकारें वहन करेंगी।
एक नजर में परियोजना
परियोजना पर 44,605 करोड़ रुपये की लागत आएगी
8 साल में पूरा किया जाएगा।
103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न होगी
2005 में हुआ था मध्यप्रदेश और यूपी के बीच अनुबंध
मध्यप्रदेश में सात बांध बनेंगे
10.62 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित
62 लाख लोगों को उपलब्ध होगा पीने का पानी
72 मेगावाट के दो बिजली प्रोजेक्ट भी बनाए जाएंगे।
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