सार
वीजा (Visa) कंपनी ने यूएस सरकार से शिकायत करते हुए कहा कि भारत सरकार लगातार रूपे कार्ड (Rupay Card) को प्रमोट कर रही है। जिसकी वजह से उनका भारत में कारोबार करना काफी मुश्किल हो गया है और उन्हें काफी नुकसान हो रहा है।
बिजनेस डेस्क। भारत में काम करने वाली विदेशी पेमेंट गेटवे कंपनियां लोकल रुपे कार्ड (Rupay Card) की बढ़ती लोकप्रियता से काफी परेशान हो गई हैं। सरकार भी रुपे कार्ड को लगातार सपोर्ट करती हुई दिखाई दी है। केंद्र सरकार की फ्लैगशिप स्कीम जनधन योजना के तहत खोले गए 40 करोड़ से ज्यादा अकाउंट होल्डर को रूपे कार्ड ही दिया गया है। ऐसे में वीजा (Visa) कंपनी ने इस बात की शिकायत यूएस की बाइडन सरकार (Biden Govt) से की है। वीजा की ओर से कहा गया है कि रुपे कार्ड की वजह से अब भारत में उन्हें काफी नुकसान हो रहा है। भारत सरकार भी रुपे कार्ड को काफी बैक कर रही है। इससे पहले मास्टरकार्ड (Masker Card) की ओर से भी यही आरोप लगाया गया था।
ऐसे सामने आई वीजा की नाराजगी
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार रूपे कार्ड की ओर से सार्वजनिक तौर पर कोई शिकायत नहीं की है। वीजा के लिए भारत एक प्रमुख बाजारों में से एक है। वहीं रूपे की बढ़ती लोकप्रियता पर भी वीजा ने कभी भी खुलकर बयान जारी नहीं किया है। वीजा की शिकायत अमरीकी सरकार के मेमो से निकलकर सामने आई है। वीजा ने 9 अगस्त को अमरीकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) कैथरीन ताई और सीईओ अल्फ्रेड केली सहित कंपनी के अधिकारियों के बीच एक बैठक के दौरान भारत में लेवल प्लेइंग फील्ड खेल मैदान के बारे में चिंता जताई थी।
मास्टरकार्ड की भी यही थी शिकायत
वीजा से पहले मास्टरकार्ड भी यह शिकायत ग्लोबल लेवल पर उठा चुका है। 2018 में भारत में लोकसभा चुनावों से पहले रूपे कार्ड को ज्यादा प्रमोट करने को लेकर मास्टरकार्ड ने यूएसटीआर में अपना विरोध दर्ज कराया था। मास्टर कार्ड ने कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री लोकल नेटवर्क का प्रचार करने के लिए राष्ट्रवाद का सहारा ले रहे हैं। मोदी ने 2018 के भाषण में रूपे के उपयोग को देशभक्ति के रूप में चित्रित करते हुए कहा था कि हर कोई देश की रक्षा के लिए सीमा पर नहीं जा सकता है, हम राष्ट्र की सेवा के लिए रुपे कार्ड का उपयोग कर सकते हैं।
चार साल में 15 फीसदी से 63 फीसदी हिस्सेदारी
नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया एक नॉन प्रोफिटेबल एंटिटी है, जोकि देश में रूपे कार्ड को प्रमोट करती है और उसका संचालन करती है। केंद्र सरकार इस कार्ड को लगातार बैक करती हुई दिखाई दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल कहा था कि रूपे ही एकमात्र कार्ड है जिसे बैंकों को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार ने सार्वजनिक परिवहन भुगतान के लिए रूपे आधारित कार्ड को भी बढ़ावा दिया है। यह वीजा और मास्टरकार्ड जैसी कंपनियों के लिए चुनौती बनता जा रहा है। नवंबर 2020 तक भारत के 95.2 करोड़ डेबिट और क्रेडिट कार्ड में रूपे की हिस्सेदारी 63 फीसदी थी। जबकि 2017 में यह हिस्सेदारी 15 फीसदी की थी।