सार
फ्यूचर कूपन्स ने अपनी याचिका में उच्च न्यायालय से इस आधार पर कार्यवाही को रद्द करने के लिए कहा कि Indian competition watchdog ने पहले ही अमेज़ॅन-फ्यूचर सौदे को निलंबित कर दिया है।
बिजनेस डेस्क, Delhi high court on Tuesday dismissed Future Group’s petition : दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सिंगापुर में अमेजन द्वारा शुरू की गई मध्यस्थता की कार्यवाही को रद्द करने की फ्यूचर ग्रुप की याचिका खारिज कर दी है। फ्यूचर कूपन्स ने अपनी याचिका में उच्च न्यायालय से इस आधार पर कार्यवाही को रद्द करने के लिए कहा कि Indian competition watchdog ने पहले ही अमेज़ॅन-फ्यूचर सौदे को निलंबित कर दिया है।
Singapore arbitration panel में चल रहा मामला
वर्तमान में, सिंगापुर मध्यस्थता पैनल (Singapore arbitration panel) में फ्यूचर ग्रुप और अमेज़ॅन के बीच एक विवाद चल रहा है, लेकिन दोनों पक्षों ने मध्यस्थ कोर्ट के कुछ निर्णयों को लागू करने या रद्द करने के लिए विभिन्न देशों की अदालतों में भी केस दाखिल किए हैं। दरअसल सिंगापुर कोर्ट के फैसले इन देशों के संविधान के मुताबिक लागू नहीं हो सकते हैं। इस वजह विभिन्न पक्षों ने भारत में समानांतर केस फाइल किए हैं।
अमेरिकी दिग्गज पर लगाया था 200 करोड़ का जुर्माना
बता दें कि 18 दिसंबर को, सीसीआई ने अपने आदेश में फ्यूचर कूपन लिमिटेड के साथ अमेज़ॅन के सौदे की अपनी मंजूरी को निलंबित कर दिया था और यूएस-मेजर को अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा था। CCI ने अपने और फ्यूचर कूपन के बीच सौदे के लिए मंजूरी की मांग करते हुए कथित रूप से "गलत और गलत बयान" देने के लिए अमेरिकी दिग्गज पर ₹ 200 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था।
कार्यवाही को समाप्त करने की लड़ाई
फ्यूचर कूपन की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि कानून के अनुसार एक मध्यस्थ को कार्यवाही समाप्त करनी चाहिए यदि यह अनावश्यक हो गई है। वहीं उन्होंने ये तथ्य भी शामिल किया है कि कंपनी ने एंटी-ट्रस्ट वॉचडॉग (anti-trust watchdog’s) के दिसंबर के आदेश के बाद कार्यवाही को समाप्त करने के लिए ट्रिब्यूनल से संपर्क किया था।
रोहतगी-साल्वे ने पेश की दलीलें
रोहतगी ने तर्क दिया कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ न्यायाधिकरण 'विकृत' तरीके से काम कर रहा था और उसने अभी तक इस मामले में कोई आदेश पारित नहीं किया है। दूसरी ओर, फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि फ्यूचर रिटेल को इस मामले में अनावश्यक रूप से घसीटा गया था, जबकि कंपनी दिवालिया होने के दबाव में थी।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले से पहले, फ्यूचर रिटेल के शेयर एनएसई पर 3.6% बढ़कर 51.80 रुपये पर बंद हुए।
ये है मामला
इस विवाद की शुरुआत साल 2020 में हुई थी। तब फ्यूचर ग्रुप के रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक्स कारोबार को रिलायंस रिटेल द्वारा 24,713 करोड़ रुपये में परचेस करने का ऐलान किया गया था। इससे पहले साल 2019 में amazon ने 1500 करोड़ रुपये में फ्यूचर कूपन में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। डील के तहत अमेजन को 3 से 10 साल के अंदर फ्यूचर रिटेल में हिस्सेदारी खरीदने का भी अधिकार मिला था। इसी को आधार बनाकर फ्यूचर और रिलायंस (reliance ) की डील पर ऐतराज जताते हुए अमेजन ने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में अपील दायर की है, जिसके मुताबिक रिलायंस और फ्यूचर रिटेल की डील उसकी और फ्यूचर कूपन के बीच हुई डील के खिलाफ है।
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