सार

बजट में कई तरह के टर्म इस्तेमाल में आते हैं, जिनका मतलब बहुत से लोग नहीं जानते हैं। इनमें रेवेन्यू और कैपिटल बजट भी शामिल हैं। सरकार और जनता दोनों के लिए इनकी काफी अहमियत है।

बिजनेस डेस्क : बजट (Budget 2025) पेश होने का दिन अब नजदीक आ गया है। देश की फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारामण (Nirmala Sitharaman) लोकसभा में 1 फरवरी को 8वीं बार बजट पेश करेंगी। बजट देश की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा होता है। इससे देश के आर्थिक भविष्य की रूपरेखा भी सरकार तय करती है। बजट में कई टर्म इस्तेमाल होते हैं। जिनका मतलब हर किसी को आसानी से समझ नहीं आता है। ऐसे ही टर्म हैं रेवेन्यू और कैपिटल बजट या एक्सपेंडिचर। दोनों की शब्द बजट में बार-बार यूज होते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं इनके मतलब और इनमें क्या अंतर हैं...

रेवेन्यू बजट क्या होता है 

देश चलाने के लिए सरकार को जिस फंड की जरूरत होती है, उसे रेवेन्यू बजट (Revenue Budget) या रेवेन्यू एक्सपेंडिचर कहते हैं। इसे राजस्व व्यय भी कहा जाता है। ये खर्च सब्सिडी, सैलरी, पेंशन, कर्ज और राज्य सरकारों को ग्रांट देने में होता है। सरकारी कर्मचारियों को सैलरी देनी हो या पेंशन या अलग-अलग मंत्रालयों-विभाग को जो भी पैसे दिए जाते हैं, इसी खर्च में आते हैं।

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कैपिटल बजट क्या होता है 

कैपिटल एक्सपेंडिचर या कैपिटल बजट (Capital Budget) वो खर्च होता है, जिससे सरकार की कमाई होती है। इसे पूंजीगत व्यय भी कहा जाता है। ये खर्च सरकार किसी तरह के निवेश या सड़क, इंडस्ट्री डेवलपमेंट, स्कूल-कॉलेज बनवाने जैसे कामों में करती है।

रेवेन्यू और कैपिटल बजट में अंतर 

रेवेन्यू और कैपिटल एक्सपेंडिचर में मुख्य अंतर टाइम पीरियड को लेकर है।रेवेन्यू एक्सपेंडिचर शॉर्ट टर्म यानी छोटे अवधि के लिए किया जाता है। इसमें ज्यादातर रोजाना के खर्चे शामिल हैं। जबकि कैपिटल एक्सपेंडिचर लॉन्ग टर्म के लिए किया जाता है। ये ज्यादातर उन एसेट या सुविधाओं पर होता है, जिसका फायदा लंबे समय तक होता है। ऐसे एसेट की वैल्यू समय के साथ कम हो जाती है।

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