सार

पुणे में स्थित एक रेस्टोरेंट, 'बर्गर किंग', ने 13 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अमेरिकी फास्ट फूड दिग्गज बर्गर किंग के खिलाफ एक बड़ी जीत हासिल की है। मामला रेस्टोरेंट के नाम को लेकर था, जिसे अमेरिकी कंपनी ने अपने ट्रेडमार्क का उल्लंघन बताया था।

गोल फास्टफूड दिग्गज बर्गर किंग को केस में हराकर महाराष्ट्र के पुणे में स्थित एक देसी बर्गर किंग ने बड़ी जीत हासिल की है। यह जीत 13 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिली है। विवाद का विषय रेस्टोरेंट का नाम 'बर्गर किंग' ही था। पुणे में चल रहे इस रेस्टोरेंट के खिलाफ अमेरिकी कंपनी बर्गर किंग ने केस दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि पुणे का बर्गर किंग उनके व्यापार चिह्न का उल्लंघन कर रहा है।

2011 में बर्गर किंग ने पुणे के बर्गर किंग के मालिकों, अनाहिता और शापूर ईरानी के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनकी मांग थी कि रेस्टोरेंट को 'बर्गर किंग' नाम का इस्तेमाल करने से रोका जाए। साथ ही, उन्होंने अपने ब्रांड की छवि को नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाते हुए 20 लाख रुपये का हर्जाना भी मांगा था।

हालांकि, ईरानी परिवार ने कोर्ट में यह साबित कर दिया कि वे 1992 से पुणे में अपना रेस्टोरेंट चला रहे हैं, जबकि बर्गर किंग कॉर्पोरेशन ने भारत में अपना कारोबार 2014 में शुरू किया था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने पुणे के बर्गर किंग के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि अमेरिकी कंपनी यह साबित करने में नाकाम रही कि पुणे के बर्गर किंग की वजह से भारत में उनके ब्रांड को क्या नुकसान हुआ है। अपने बचाव में, अनाहिता और शापूर ईरानी ने दलील दी कि यह केस उनके खिलाफ सिर्फ उन्हें परेशान करने और उनके वैध कारोबार को बाधित करने के लिए दायर किया गया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नाम के अलावा उनके रेस्टोरेंट और ग्लोबल फास्ट फूड चेन के बीच कोई समानता नहीं है।