सार
किसी प्रॉपर्टी की लेकर ईडी पहले उस संपत्ति की तमाम जानकारियां इकट्ठा करती है। सबूत मिलने पर उन संपत्तियों को अटैच करने का फैसला लिया जाता है। इसके बाद ईडी कोर्ट के सामने सबूत पेश करती है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाती है।
बिजनेस डेस्क : प्रवर्तन निदेशालय यानी ED अक्सर चर्चा में रहता है। आपने भी इस जांच एजेंसी का नाम खूब सुन रखा होगा। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में लगातार शिकंजा कसती रहती है। अब तक कई बड़े नेताओं को जेल तक भेज चुकी है। कई बार तो ईडी विवादों में भी आ चुकी है। अब हीरो कंपनी के मालिक पवन मुंजाल (Pawan Munjal) की 25 करोड़ की तीन प्रॉपर्टी जब्त कर एक बार फिर ईडी चर्चा में आ गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रॉपर्टी अटैच क्या होता है और ईडी कब इस तरह की कार्रवाई करती है?
ED कैसे अटैच करती है प्रॉपर्टी
किसी प्रॉपर्टी की लेकर ईडी पहले उस संपत्ति की तमाम जानकारियां इकट्ठा करती है। सबूत मिलने पर उन संपत्तियों को अटैच करने का फैसला लिया जाता है। इसके बाद ईडी कोर्ट के सामने सबूत पेश करती है। ईडी को प्रॉपर्टी अटैक करने का कारण बताना पड़ता है। अगर कोर्ट ईडी के पक्ष में फैसला देता है तो अटैच संपत्ति जब्त कर ली जाती है और फिर इसकी कुर्की की जाती है।
प्रॉपर्टी अटैच का मतलब क्या होता है
ईडी जब भी किसी की संपत्ति अटैच करती है तो इसका मतलब उसे सील करना नहीं होता है। इसका मतलब प्रॉपर्टी का इस्तेमाल जारी रहता है। अगर किसी मकान को अचैच किया जाता है तो लोग उसमें रह सकते हैं या उसे किराए पर दे सकते हैं। इसी तरह किसी ऑफिस या फैक्ट्री को लेकर भी किया जाता है। अटैच किए जाने के बाद इस संपत्ति को न तो बेचा जा सकता है और ना ही किसी दूसरे के नाम पर ट्रांसफर किया जा सकता है।
क्या अटैच होने पर प्रॉपर्टी का इस्तेमाल नहीं कर सकते
ऐसा काफी कम होता है, जिसमें प्रॉपर्टी का इस्तेमाल नहीं हो सकता है। कोर्ट का फैसला आने तक संपत्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी प्रिवेंसन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत ये सभी कार्रवाई करती है। आरोपी के पास कोर्ट में प्रॉपर्टी अटैच करने के खिलाफ अर्जी दाखिल करने का ऑप्शन होता है।
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