नया आयकर विधेयक 2025 लोकसभा से पास हो गया है। यह 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा। इससे टैक्स से जुड़े कानूनों को आसान बनाया गया है। पूरे सिस्टम में पारदर्शिता लाने की कोशिश है। आइए आयकर विधेयक 2025 को जानते हैं।
Income Tax Bill 2025: संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session) के दौरान सोमवार को लोकसभा ने आयकर विधेयक 2025 पारित कर दिया। यह भारत के छह दशक पुराने प्रत्यक्ष कर ढांचे को बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। सरकार नए कानून के साथ निवेशकों के विश्वास, करदाताओं को राहत और प्रशासनिक दक्षता संतुलित करने की कोशिश कर रही है। आइए 10 सवालों और उनके जवाब से नए आयकर विधेयक 2025 को समझते हैं।
नया आयकर विधेयक 2025 क्या है?
आयकर विधेयक 2025 पुराने आयकर अधिनियम 1961 के स्थान पर लाया गया नया विधेयक है। इसका उद्देश्य भारत में कर कानूनों को सरल और आधुनिक बनाना है। इसमें स्पष्ट भाषा और कम धाराएं हैं। पहले आयकर अधिनियम में 700 से ज्यादा धाराएं थीं। इन्हें घटाकर 536 किया गया है। नए विधेयक में मुकदमेबाजी की प्रक्रिया आसान भाषा में बताई गई है। अस्पष्टताओं को कम किया गया है।
नया कर विधेयक कब लागू होगा?
नया विधेयक 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा। यह वित्तीय वर्ष 2026-27 के साथ मेल खाता है।
नए विधेयक में टैक्स स्लैब में मुख्य बदलाव क्या हैं?
टैक्स स्लैब प्रगतिशील हैं। इसमें छूट सीमा अधिक है और कई स्लैब हैं:
आमदनी प्रति वर्ष और टैक्स दर
- 4 लाख रुपए तक: शून्य
- 4-8 लाख रुपए: 5%
- 8-12 लाख रुपए: 10%
- 12-16 लाख रुपए: 15%
- 16-20 लाख रुपए: 20%
- 20-24 लाख रुपए: 25%
- 24 लाख रुपए से ऊपर: 30%
क्या टैक्स छूट में कोई बदलाव हुआ है?
हां, धारा 87A के तहत 12 लाख रुपए तक की आय पर छूट बढ़ाकर 60,000 रुपए कर दी गई है। 12 लाख रुपए प्रति साल कमाने वाले करदाताओं को छूट के बाद कोई आयकर नहीं देना होगा।
क्या कटौतियों के लिए सरल नियम हैं?
कुछ कटौतियां स्पष्ट और सरल हैं। जैसे कि नगरपालिका टैक्स के बाद गृह संपत्ति आय पर 30% मानक कटौती और स्वयं के कब्जे वाली और किराए की संपत्तियों के लिए निर्माण-पूर्व गृह ऋण पर ब्याज की चरणबद्ध कटौती।
पूंजीगत लाभ और डिजिटल संपत्तियों के बारे में क्या?
नया विधेयक पूंजीगत लाभ प्रावधानों का पुनर्गठन करता है। क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल संपत्तियों को स्पष्ट रूप से कर योग्य पूंजीगत लाभ के रूप में शामिल किया गया है।
नया विधेयक कर अनुपालन और मूल्यांकन को कैसे सरल बनाता है?
नया विधेयक में टैक्स से जुड़े मामले में मानवीय हस्तक्षेप कम किया गया है। पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार के जोखिम को कम करने के लिए फेसलेस डिजिटल मूल्यांकन और अनुपालन को बढ़ावा दिया गया है।
यह विधेयक टैक्स कोड में कौन से सुधार लाता है?
नए विधेयक ने टैक्स से जुड़े कानूनों को 23 अध्यायों में 536 धाराओं में समेटा है। टैक्स से जुड़े कानूनों को आसान और आम लोगों समझ आने लायक बनाया गया है। जटिलता और दोहराव कम किया गया है।
क्या इनकम टैक्स दाखिल करने में बदलाव हुए हैं?
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पास अब अनिवार्य फाइलिंग शर्तों को तय करने के लिए अधिक अधिकार हैं। CBDT करदाताओं से विस्तृत जानकारी मांग सकता है, जिससे प्रक्रिया सरल होगी और अनुपालन बेहतर होगा।
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क्या नया कर विधेयक करदाताओं के अधिकारों को प्रभावित करेगा?
हां, इस विधेयक में एक करदाता चार्टर शामिल है। यह पारदर्शिता को बढ़ावा देता है और कर कार्रवाई से पहले पूर्व सूचना की आवश्यकता, धनवापसी प्रक्रियाओं को आसान बनाने और गैर-देय करदाताओं को अग्रिम शून्य-टीडीएस प्रमाणपत्र जारी करके करदाताओं की सुरक्षा करता है।
