सार
आरबीआई की एमपीसी की बैठक खत्म हो गई है। इस बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में 0.50% की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। अब इससे लोन महंगा हो जाएगा।
बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक खत्म हो गई है। 5 अगस्त को रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने आरबीआई की नई पॉलिसी का ऐलान कर दिया है। आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है। 0.50% की बढ़ोतरी रेपो रेट में हुई है। अब इसका असर होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan) और पर्सनल होन (Personal Loan) की EMI पर पड़ेगा। इसका मतलब कि लोन रिपेमेंट के लिए आपको अपने से ज्यादा मंथली किस्त देनी पड़ सकती है।
महंगाई अब भी चरम सीमा पर है। यूं कहें कि आरबीआई के तय लक्ष्य के ऊपर महंगाई का ग्राफ चल रहा है। महंगाई को ही काबू में करने के लिए पिछली बार भी रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई थी। इस बार भी रेपो रेट में बढ़ोतरी का फैसला लिया गया है।
महंगाई का यह रहा रेट
जानकारी दें कि जून के महीने में महंगाई की दर 7.01% थी। आरबीआई द्वारा तय की गई महंगाई की सीमा 6 फीसदी है। लेकिन लगातार छठी बार महंगाई की दर इस स्तर से ऊपर रही है। मई में खुदरा महंगाई दर 7.04 थी। आरबीआई ने साल 2022-23 के लिए महंगाई दर के अनुमान को बढ़ा है। पहले यह महंगाई दर 5.7 फीसदी थी। लेकिन अब आरबीआई ने इसे बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है।
4 महीने में तीसरी बार बढ़ा रेपो रेट
मई 2022 की बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट को 0.40 प्रतिशत बढ़ाया था। जून में भी 0.50 फीसदी बढ़ाया गया था। मई महीने में रेपो रेट में हुआ बदलाव करीब दो साल के बाद हुआ था। करीब दो साल तक रेपो रेट 4 फीसदी पर बना रहा था। अब रेपो रेट बढ़कर 5.40 फीसदी पर पहुंच गया है।
क्या है रेपो रेट
रेपो दर वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक) पैसे की किसी भी कमी की स्थिति में कॉमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है। रेपो रेट का उपयोग मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। मुद्रास्फीति की स्थिति में केंद्रीय बैंक रेपो दर में वृद्धि करते हैं। इसके चलते कॉमर्शियल बैंक केंद्रीय बैंक से उधार लेना कम कर देते हैं, जिससे आगे चलकर अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति घट जाती है। पैसे की कमी मुद्रास्फीति रोकने में मदद करती है।
रेपो रेट बढ़ा तो पड़ेगा आपकी जेब पर असर
1- महंगा होगा कर्ज: रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर बैंकों से लिए गए होम लोन और अन्य सभी लोन के ब्याज दरों में वृद्धि के रूप में आम आदमी पर पड़ेगा। ज्यादातर बैंक पहले ही ब्याज दरें बढ़ा चुके हैं। अब आरबीआई द्वारा बढ़ोतरी की घोषणा के साथ ब्याज दरों में और वृद्धि की उम्मीद है।
2- बैंक में जमा पैसे पर मिलेगा अधिक ब्याज: रेपो रेट बढ़ने का फायदा बैंक में पैसा जमाकर रखने वालों को मिलेगा। इससे उन्हें अधिक ब्याज मिलेगा। बचत खातों, डाकघर बचत खातों, एफडी और अन्य अकाउंट्स में जमा पैसे पर ब्याज दरें बढ़ने की संभावना है।
3- बॉन्ड पर अधिक मिलेगा रिटर्न: रेपो रेट बढ़ने से बचत के साथ-साथ बॉन्ड पर रिटर्न भी बढ़ने की संभावना है। बुधवार को ही 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर यील्ड 25 बेसिस प्वाइंट बढ़ा।
4- आर्थिक सुधार में मंदी: रेपो रेट बढ़ने के चलते लोग लोन कम लेंगे और पैसे कम खर्च करेंगे। इसके चलते मांग घटेगी और आर्थिक सुधार में मंदी आएगी। कर्ज महंगा होने से आर्थिक सुधार धीमा पड़ेगा। अर्थव्यवस्था पहले ही कोरोना महामारी के चलते हुए नुकसान से उबर नहीं पाई है। निजी खपत अभी भी पूर्व-महामारी के स्तर से मजबूती से ऊपर नहीं आई है।
5- मुद्रास्फीति कम होगी: सीआरआर में वृद्धि करने का आरबीआई का लक्ष्य अर्थव्यवस्था से अतिरिक्त पैसे को बाहर निकालना है। मार्च और अप्रैल के मुद्रास्फीति के आंकड़ों ने नीति निर्माताओं को चिंतित कर दिया है। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण अधिकांश वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है। अधिक मांग के चलते भी कीमत बढ़ती है। सीआरआर में वृद्धि से मुद्रास्फीति नीचे आएगी। आरबीआई का लक्ष्य कीमतों को नियंत्रित करने के लिए अर्थव्यवस्था से 87,000 करोड़ रुपए निकालना है।
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