Harsh Gupta IIT Success Story: 19 साल के हर्ष गुप्ता ने कक्षा 11 में फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी। परिवार के सपोर्ट और कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने IIT Roorkee में सीट पाई। जानें उनके संघर्ष और सफलता की पूरी कहानी।

Harsh Gupta Success Story: महाराष्ट्र के कल्याण से आने वाले 19 साल के हर्ष गुप्ता की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। हर्ष ने कक्षा 11 की परीक्षा में फेल होने के बावजूद हार मानना कभी अपना विकल्प नहीं बनाया। उन्होंने फिर से तैयारी की और परीक्षा पास कर ली। इसके बाद कक्षा 12 में भी उन्होंने शानदार अंक हासिल किए और लगातार मेहनत के दम पर अपनी ड्रीम यूनिवर्सिटी IIT Roorkee में सीट पाई। जानिए पानी पूरी वाले के बेटे की IIT सफलता की कहानी।

पानी पूरी का स्टॉल लगाते हैं हर्ष गुप्ता के पिता

हर्ष का परिवार आर्थिक रूप से सामान्य था। उनके पिता संतोष गुप्ता, कल्याण में पानी पूरी का स्टॉल चलाकर परिवार का गुजारा करते हैं। ऐसे हालात में भी हर्ष ने अपनी पढ़ाई से कभी समझौता नहीं किया। IIT में एडमिशन उसके लिए सिर्फ एक कॉलेज की सीट नहीं, बल्कि बेहतर जिंदगी की राह बन गई।

कोटा कोचिंग इंस्टिट्यूट से IIT तक का सफर

कक्षा 12 के बाद हर्ष ने राजस्थान के कोटा के एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में एडमिशन लिया। वहां की तैयारी ने उसे आईआईटी रुड़की तक पहुंचाया। हर्ष अब सिविल सर्विसेज एग्जाम की तैयारी भी करना चाहते हैं। उन्होंने जेईई मेन्स में 98.59% अंक हासिल किए और जेईई एडवांस्ड के लिए क्वालिफाई किया। हालांकि पहली बार में उन्हें अपनी पसंद की IIT नहीं मिली, लेकिन हर्ष ने हार नहीं मानी और फिर से तैयारी की, दूसरी बार में उन्होंने आईआईटी रुड़की में अपनी सीट पक्की की। हर्ष ने NDTV से कहा, कक्षा 11 में फेल होने के बाद मैं कोटा गया। मेरे परिवार ने हमेशा मेरा साथ दिया। मेरा सपना हमेशा IIT में एडमिशन लेने का था, खासकर आईआईटी मुंबई या आईआईटी रुड़की में।

दोस्तों ने उड़ाया मजाक लेकिन परिवार का मिला सपोर्ट

हर्ष के पिता ने उसकी पढ़ाई में हमेशा उसे सपोर्ट किया। हर्ष ने कहा, मेरी सलाह है कि फेल होने से खुद को परिभाषित मत कीजिए। चाहे कक्षा 11 में भी मुश्किलें आईं, मैंने कभी हार नहीं मानी। मैं अपने परिवार और स्कूल का पहला IITian हूं। हालांकि दोस्तों ने शुरुआत में हर्ष का मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि पानी पूरी वाले के बेटे के लिए IIT पाना नामुमकिन है। लेकिन हर्ष ने किसी की बातों पर ध्यान नहीं दिया और दिन में 10-12 घंटे कोचिंग और सेल्फ स्टडी में लगाता रहा।

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हर्ष गुप्ता के पिता की उम्मीद और बलिदान

हर्ष के पिता, संतोष गुप्ता के अनुसार मैं पानी पूरी बेचता हूं, लेकिन अपने बच्चों के सपनों के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूं। उन्होंने बताया कि हर्ष पढ़ाई में हमेशा अच्छा रहा है, लेकिन आर्थिक स्थिति ने मुश्किलें बढ़ा दी थीं। मैंने अपनी बचत से पैसे निकालकर उसकी पढ़ाई में मदद की। मैं चाहता हूं कि मेरे अन्य दो बेटे, शुभम और शिवम भी हायर एजुकेशन हासिल करें।

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