UPSC Success Story: आईएएस हिमांशु गुप्ता की कहानी मेहनत और हौसले की मिसाल है। उत्तराखंड के एक चायवाले के बेटे, जिन्होंने बिना कोचिंग यूपीएससी परीक्षा तीन बार पास की। जानिए कैसे गरीबी के कारण हिमांशु ने 70 किलोमीटर दूर स्कूल जाकर पढ़ाई की और IAS बने।
IAS Himanshu Gupta Success Story: यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। हर साल लाखों उम्मीदवार इसमें बैठते हैं, लेकिन कामयाबी केवल कुछ ही लोगों के हिस्से आती है। इस परीक्षा को पास करने के लिए सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि जुनून, धैर्य और आत्मविश्वास की भी जरूरत होती है। जानिए ऐसे ही एक शख्स हिमांशु गुप्ता के बारे में, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया कि हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, अगर हौसले बुलंद हों, तो मंजिल मिलकर रहती है। IAS हिमांशु गुप्ता ने बिना किसी कोचिंग के UPSC की परीक्षा तीन बार पास कर दिखाई।
कौन हैं हिमांशु गुप्ता?
हिमांशु गुप्ता उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के सितारगंज के रहने वाले हैं। उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा। उनके पिता एक चाय बेचने वाले छोटे दुकानदार थे, जो अपने परिवार का खर्च बड़ी मुश्किल से चलाते थे। गरीबी के बावजूद हिमांशु के पिता ने कभी अपने बेटे की पढ़ाई रुकने नहीं दी और हमेशा उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
हर दिन 70 किलोमीटर दूर जाते थे स्कूल
हिमांशु का बचपन बेहद साधारण परिस्थितियों में बीता। वह हर दिन करीब 70 किलोमीटर दूर बरेली के स्कूल जाते थे। पढ़ाई के प्रति उनकी लगन इतनी गहरी थी कि कठिन रास्ते भी उन्हें रोक नहीं पाए। उन्होंने बरेली जिले के सिरौली कस्बे के स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की।
दिल्ली यूनिवर्सिटी और JNU से पूरी की हायर एजुकेशन
स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद हिमांशु गुप्ता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से बॉटनी में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया। इसी दौरान उन्होंने ठान लिया कि वह UPSC की परीक्षा देंगे और बिना कोचिंग के खुद से तैयारी शुरू की।
बिना कोचिंग के तीन बार पास की UPSC
हिमांशु ने अपनी मेहनत के दम पर UPSC परीक्षा तीन बार पास की। पहला प्रयास साल 2018 में इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (IRTS) में चयन हुआ। दूसरा प्रयास साल 2019 में, AIR 309 हासिल की और IPS अधिकारी बने। तीसरा प्रयास, साल 2020 में दी और AIR 139 हासिल कर IAS अधिकारी बने।
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पढ़ाई के साथ-साथ रिसर्च स्कॉलर के रूप में काम किया
घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद हिमांशु ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ एक सरकारी कॉलेज में रिसर्च स्कॉलर के रूप में काम किया, ताकि खुद और परिवार का खर्च उठा सकें।
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आज हैं लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा
हिमांशु गुप्ता की कहानी सिर्फ एक सफलता की कहानी नहीं, बल्कि यह संदेश देती है कि अगर हौसले मजबूत हों, तो हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, सफलता जरूर मिलती है। आज वह उन लाखों युवाओं के लिए मिसाल हैं जो बिना कोचिंग, बिना संसाधनों के भी UPSC की तैयारी कर रहे हैं।
