सार

World Sparrow Day 2025: गौरैया की लगातार घटती संख्या चिंताजनक है। गौरया के संरक्षण के उद्देश्य से हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। इस साल की थीम 'आई लव स्पैरो' है। जानिए पूरी डिटेल।

World Sparrow Day 2025 Theme: गौरैया की चहचहाहट अब कई लोगों के बचपन की यादों का हिस्सा बन चुकी है। एक समय था जब गांवों की सुबह की शांति हो या शहरों की हलचल भरी गलियां, गौरैया हर जगह देखी जाती थी। लेकिन बीते कुछ दशकों में ये नन्हीं चिड़िया हमारी दुनिया से गायब होती जा रही है। इनकी घटती संख्या चिंता का विषय बन गई है। आगे जानिए गौरया दिवस क्यों मनाते हैं, इस साल की थीम क्या है और गौरैया को बचाने के लिए हम सभी मिलकर क्या कर सकते हैं।

गौरैया दिवस क्यों मनाते हैं, क्या है इस साल की थीम (World Sparrow Day 2025 Theme)

हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को इस प्यारी चिड़िया की घटती संख्या के बारे में जागरूक किया जा सके और इसे बचाने के लिए प्रेरित किया जाए। इस साल की थीम "आई लव स्पैरो" (I Love Sparrows) रखी गई है। इस थीम का उद्देश्य लोगों में गौरैया के प्रति लगाव और संरक्षण की भावना को बढ़ाना है।

गौरैया क्यों महत्वपूर्ण है? (Importance of Sparrow)

गौरैया सिर्फ एक चिड़िया नहीं, बल्कि हमारे पर्यावरण का बैरोमीटर है। अगर ये गायब हो रही है, तो समझिए कि प्रकृति के साथ कुछ गलत हो रहा है। इनका रहना जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बेहद जरूरी है।

क्यों घट रही है गौरैया की संख्या (Why is the number of sparrows decreasing)

गौरैया की संख्या घटने के पीछे कई कारण है। लेकिन कुछ महत्वपूर्ण कारणों की बात करें तो शहरीकरण जिसके कारण पुराने घरों और पेड़ों की कमी से घोंसले बनाने की जगह खत्म हो गई। मोबाइल टावर और रेडिएशन से गौरैया के नेविगेशन सिस्टम पर असर पड़ता है। खेतों में कीटनाशकों की वजह से गौरैया के खाने के लिए कीट-पतंगे कम हो गए। बिना लेड वाले पेट्रोल से ऐसे तत्व निकलते हैं, जो गौरैया के लिए हानिकारक हैं। कौए, बिल्लियों और अन्य बड़ी चिड़ियों द्वारा इनका शिकार बढ़ गया है।

गौरैया संरक्षण के लिए चलाए गए अभियान (Campaigns To Save Sparrows)

भारत में गौरैया संरक्षण कई अभियान चलाए गए हैं। पर्यावरण प्रेमी जगत किंखाबवाला ने "सेव द स्पैरो" अभियान की शुरुआत की थी। 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसका समर्थन किया था। ऐसे कूडुगल ट्रस्ट (चेन्नई) ने गौरैया को बचाने के लिए स्कूल के बच्चों को घोंसले बनाने की ट्रेनिंग दी। इस अभियान के तहत 2020-2024 के बीच 10,000 से ज्यादा घोंसले बनाए गए। "अर्ली बर्ड" पहल (मैसूर, कर्नाटक) की ओर से बच्चों को चिड़ियों की पहचान और संरक्षण सिखाने के लिए विशेष किताबें और गतिविधियां चलाई गईं। गौरैया को बचाने के लिए राज्यसभा सांसद बृज लाल की पहल भी सराहनीय रही। उनहोंने अपने घर में 50 से ज्यादा घोंसले लगवाए ताकि गौरैया को सुरक्षित जगह मिल सके। पीएम मोदी ने भी उनकी इस पहल की सराहना की थी।

गौरैया को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं? (How to Save Sparrows)

गौरैया को बचाने के लिए की गई छोटी-छोटी भी बेहद महत्वूपर्ण है। आप भी इसमें शामिल हो सकते हैं। गौरैया को बचाने के लिए अपने घर के बाहर छोटे घोंसले लगाएं। पानी और दाने का इंतजाम करें। कीटनाशकों का कम से कम इस्तेमाल करें। बगीचों और हरे-भरे पेड़ों को बचाएं। छत और बालकनी में पानी और अनाज रखें। यह जान लें कि गौरैया को बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या पर्यावरणविदों की नहीं, बल्कि हम सबकी है। अगर हम मिलकर छोटे-छोटे कदम उठाएं, तो यह प्यारी चिड़िया दोबारा हमारे आस-पास दिखने लगेगी।