Z vs Z Plus Security: दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता के थप्पड़ कांड के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उन्हें जेड प्लस सिक्योरिटी दी गई है। इस बीच जानिए Z और Z प्लस सिक्योरिटी में क्या फर्क है। कितने जवान तैनात होते हैं, कौन-सी एजेंसी सुरक्षा देती है।
Difference Between Z vs Z Plus Security India: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुए हमले के बाद अब केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षा और सख्त कर दी है। पहले तक उनकी सुरक्षा में सिर्फ दिल्ली पुलिस तैनात थी, लेकिन अब उन्हें Z प्लस कैटेगरी की सिक्योरिटी दी गई है। इस सुरक्षा व्यवस्था की ज़िम्मेदारी सीआरपीएफ को सौंपी गई है। Z प्लस सुरक्षा में कुल 58 कमांडो और सुरक्षाकर्मी हर वक्त उनके साथ रहेंगे। इसके अलावा उन्हें दो स्काउट, एक पायलट वाहन, बुलेटप्रूफ कार और पूरे काफिले की सिक्योरिटी भी मिलेगी। साफ है कि अब उनका सुरक्षा घेरा पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है। इस बीच लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आखिर Z और Z प्लस सिक्योरिटी में अंतर क्या होता है? तो जानिए
Z और Z प्लस सिक्योरिटी में क्या है फर्क
- Z कैटेगरी में करीब 22 सुरक्षाकर्मी होते हैं।
- Z+ कैटेगरी में यह संख्या बढ़कर 55-58 तक पहुंच जाती है।
Z और Z प्लस सिक्योरिटी में कौन सी एजेंसी सुरक्षा देती है?
- Z सुरक्षा की जिम्मेदारी ज्यादातर CRPF के हाथ में होती है।
- Z प्लस सुरक्षा में NSG और CRPF दोनों की टीम तैनात की जाती है।
Z और Z प्लस सिक्योरिटी किन्हें मिलती है?
- Z कैटेगरी उन नेताओं, बिजनेसमैन, जजों या गवाहों को दी जाती है, जिन्हें मीड लेवल का खतरा माना जाता है।
- Z प्लस कैटेगरी देश के बड़े नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के जजों, केंद्रीय मंत्रियों और प्रधानमंत्री के अलावा उन खास लोगों को मिलती है, जिन्हें सबसे बड़ा खतरा होता है।
Z और Z प्लस सिक्योरिटी में पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) कितने होते हैं?
- Z कैटेगरी में 4 से 6 PSO रहते हैं।
- Z प्लस कैटेगरी में इनकी संख्या बढ़कर 10 से 12 PSO तक हो जाती है।
Z और Z प्लस सिक्योरिटी में काफिला और गाड़ियां कितनी?
- Z सिक्योरिटी में आमतौर पर 1-2 गाड़ियों का छोटा काफिला होता है।
- Z प्लस में बड़ा काफिला चलता है, जिसमें बुलेटप्रूफ कार, पायलट व्हीकल और कई एस्कॉर्ट गाड़ियां शामिल होती हैं।
Z और Z प्लस सिक्योरिटी का स्तर क्या है?
- Z सुरक्षा को तीसरे नंबर का बड़ा सुरक्षा कवच माना जाता है। (क्रम से प्रकार होता है- X-Y-Z-Z+)
- Z प्लस कैटेगरी देश का सबसे सख्त और बड़ा सुरक्षा कवच है।
Z और Z प्लस सिक्योरिटी में खर्च कितना आता है?
- Z सुरक्षा पर हर महीने करीब 15-20 लाख रुपये खर्च होते हैं।
- Z प्लस सुरक्षा पर यह खर्च बढ़कर 25-30 लाख रुपये या उससे ज्यादा हो जाता है।
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कब शुरू हुई X, Y, Z, Z प्लस सिक्योरिटी व्यवस्था?
VIP सिक्योरिटी की यह कैटेगरी 90 के दशक में शुरू की गई थी। 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में VIP सुरक्षा को लेकर बड़ा बदलाव हुआ। इसके बाद आतंकवाद बढ़ने और पंजाब-कश्मीर जैसे इलाकों में नेताओं पर खतरा बढ़ने की वजह से सरकार ने X, Y, Z और Z प्लस जैसी स्टैंडर्ड कैटेगरी बना दी।
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