बेंगलुरू. हौसले अगर बुलंद हो तो किस्मत तो उनकी भी खुल जाती है जिनकी जिंदगी सिर्फ दुखों में गुजर रही हो। गरीबी-अमीरी सब धरी रह जाती है जब इंसान अपने काम और मेहनत से कुछ करने की ठान ले। ऐसी ही एक मिसाल पेश की है एक बस कंडक्टर ने। क्या किसी ने सोचा होगा रोजाना बसों की सवारियां ढोने वाला ये मामूली बस कंडक्टर एक रोज बड़ा अधिकारी बन जाएगा। वो हाथ में पेन डायरी लिए टिकट काटता है लेकिन इस रोजमर्रा के काम से थोड़ा सा वक्त निकालकर यूपीएससी जैसे टफ एग्जाम की तैयारी भी करता है?
टीवी, फ्रीज जैसे उपभोक्ता इलेक्ट्रानिक सामान बनाने वाली जापान की पैनासोनिक इंडिया ने पठन-पाठन के क्षेत्र में कदम रखा है। कंपनी ने युवाओं को कौशल प्रदान करने के मकसद से शिक्षा आधारित समाधान ‘कैरियरेक्स’ एवं ‘एक्सेलइट’ पेश किया है।
उत्तर प्रदेश. आज के समय में बेरोजगारी का ये आलम है कि किसी को कैसी भी सरकारी नौकरी मिल जाए तो वो उसी में धन्य हो जाए। पर एक थाने में हवलदार की नौकरी कर रहे शख्स को ये मंजूर नहीं था। दिल में कुछ बड़ा करने के इरादे से उसने ड्यूटी से छुट्टी लिए बिना, किसी को कुछ बताए बगैर मात्र दो घंटा पढ़ाई कर देश के बड़े अधिकारी बनने का एग्जाम क्लियर कर लिया। इस कॉन्स्टेबल के संघर्ष की कहानी जान आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी दुनिया की सबसे प्रामाणिक डिक्शनरीज में एक मानी जाती है। इसके हर नए एडिशन में विदेशी भाषाओं के ऐसे शब्द जोड़े जाते हैं, जो दुनिया भर में बोलचाल में पॉपुलर हो चुके हों।
पंजाब. बेटियां घरों को रोशन करने वाली एक ज्योती होती हैं। उनके होने से घर में खुशियों की किलकारी हमेशा गूंजती रहती है। पर आज भी समाज में बेटियों को बोझ माना जाता है। इसकी वजह रूढ़िवादी सोच है। पर पंजाब के मोगा गांव की रहने वाली एक बेटी ने पिता का नाम रोशन कर गांव वालों को सोच को ही बदल डाला। उसके संघर्ष की कहानी आज भी लोगों की जुबान पर है। ये कहानी है एक आईएएस अधिकारी लड़की की जिसने पिता के कैंसर होने पर दर्द को अपने अंदर समेटकर एग्जाम पास किया।
नई दिल्ली. होसले मजबूत हो तो मुश्किले भी रास्ता रोकती नहीं बल्कि नया रास्ता बना देती हैं। ऐसे ही एक गरीब लड़के ने अनाथ आश्रम में जिंदगी गुजारी, रोटी के लाल्हे पड़े लेकिन उसने खुद को दूसरों के लिए मिसाल बना डाला। ये कहानी है एक आईएएस अफसर की जिसकी मां गरीबी के कारण उसे अनाथ आश्रम छोड़ गई थी। मां मजबूर थी बच्चे को पाल नहीं सकती थी। इसलिए कलेजे के टुकड़े को दूसरों के हवाले छोड़ दिया पर उसे क्या पता था यही बच्चा जो आज बोझ लग रहा है एक दिन बड़ा होकर देश का अधिकारी बनकर नाम रोशन कर देगा।
यूपीएससी की परीक्षा हर तरह के कैंडिडेट देते हैं। कई कैंडिडेट समाज के निम्न और गरीब तबके से आते हैं, वहीं यह सेवा उन लोगों को भी आकर्षित करती है, जो पहले से नौकरी कर रहे हैं और करोड़ों का पैकेज पा रहे हैं।
सीबीएसई बोर्ड छात्रों की समस्याओं के निवारण के बोर्ड 1 फरवरी से छात्रों के लिए हेल्पलाइन की सुविधा की शुरुआत करेगा।
चंडीगढ़. जिंदगी जीने और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो 94 की उम्र में आया बुढ़ापा भी लाचार नहीं बना सकता। इस बात को साबित कर दिखाया है चंडीगढ़ की एक दादी है जो लोगों को अपने हाथों के लाजवाब स्वाद की दीवाना बना रही हैं। 94 साल की इन दादी मां का एक ही दुख था कि जिंदगी तो बहुत मजे से जी ली लेकिन कभी खुद से पैसे नहीं कमाए। ये बात उन्होंने अपनी बेटी से बातों-बातों में कह दी और बेटी ने उनके टैलेंट को दुनियाभर में पहचान दिलवा दी। आज हम आपको जिंदादिल दादी की प्रेरणात्मक कहानी सुनाने जा रहे हैं। इस कहानी से आपको भी जिंदगी ने का नया जज्बा मिलेगा।
कई बार असफलता भी सफलता के लिए बड़ी प्रेरणा बन जाती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो किसी हार के बाद हौसला खो देते हैं, वहीं कुछ उसे चुनौती के रूप में लेते हैं और सफल होकर दूसरों के लिए भी प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं।