यह कहानी बंगाल की एक ऐसी कोरोना वॉरियर महिला की है, जिसने अपने बच्चे का चेहरा देखने महामारी से लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब यह महिला वेंटिलेटर पर कोरोना से जंग लड़ रही थी, उस समय यह गर्भवती थी। इसी दौरान उसकी डिलिवरी हुई। करीब 10 दिन बाद जब वो ठीक हुई और गोद में अपने बच्चे को उठाया, तो उसकी आंखों से जीत के आंसू छलक पड़े।