सार
सुरेश रैना (Suresh Raina) को मालदीव सरकार ने मालदीव स्पोर्ट्स अवार्ड्स 2022 में प्रतिष्ठित 'स्पोर्ट्स आइकन' ( 'Sports Icon' ) पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सुरेश रैना कश्मीरी पंडित हैं। रैना के पिता ने भी आतंकियों की धमकी केबाद कश्मीर से पलायन किया था।
स्पोर्टस डेस्क। भारत के पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना (Suresh Raina) को मालदीव सरकार ने मालदीव स्पोर्ट्स अवार्ड्स 2022 में प्रतिष्ठित 'स्पोर्ट्स आइकन' ( 'Sports Icon' ) पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। रैना को 16 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ नामांकित किया गया था, जिनमें पूर्व रियल मैड्रिड और ब्राजील के फुटबॉलर रॉबर्टो कार्लोस, जमैका के धावक असफा पॉवेल, श्रीलंका के पूर्व क्रिकेट कप्तान सनथ जयसूर्या और डच फुटबॉल के दिग्गज एडगर डेविड्स (Real Madrid and Brazil footballer Roberto Carlos, Jamaican sprinter Asafa Powell, former Sri Lankan cricket captain Sanath Jayasuriya and Dutch football legend Edgar Davids) शामिल हैं।
मालदीव के राष्ट्रपति रहे मौजूद
इस आयोजन की अध्यक्षता मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह( Ibrahim Mohamed Solih, President of Maldives) ने की थी,वहीं आयोजन में खेल मंत्रियों, विश्व प्रसिद्ध एथलीटों और मालदीव के एथलीट भी मौजूद रहे। युवा, खेल और सामुदायिक अधिकारिता मंत्री, अहमद महलूफ की अध्यक्षता में, मालदीव स्पोर्ट्स अवार्ड्स 2022 का उद्देश्य ऐतिहासिक पुरस्कार समारोह को राष्ट्रीय प्रयास के रूप में पुनर्गठित करना था। महलोफ़ ने कहा कि वह इस पुरस्कार समारोह को एक सुसंगत, वार्षिक आयोजन बनाना चाहते हैं, ताकि विभिन्न खेलों में एथलीटों को उचित रूप से क्रेडिट, समर्थन और मान्यता दी जा सके।
भारतीय गायकों ने दी प्रस्तुति
मालदीव स्पोर्ट्स अवार्ड्स 17 मार्च 2022 की देर शाम को माले में सिंथेटिक रनिंग ट्रैक पर आयोजित किया गया था। इसके बाद अगली रात एक संगीत शो आयोजित किया गया था, जिसमें प्रतिभाशाली बैंड और संगीतकार शामिल हुए, जिसमें स्थानीय पसंदीदा और साथ ही भारत के अतिथि गायक शामिल थे।
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कश्मीर में हुआ जन्म
सुरेश रैना का जन्म 27 नवंबर 1986 को गाजियबाद के मुरादनगर में हुआ था। वे मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। इनके पिता का नाम त्रिलोकचंद्र आर्मी में रह चुके हैं। वहीं उनकी मां परवेश रैना है। सुरेश रैना के परिवार में तीन भाई और एक बड़ी बहन है। रैना जब 14 साल के थे तब उन्होंने क्रिकेटर बनने का फैसला लिया।
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अंडर-19 टीम में मिला मौका
रैना के क्रिकेट करियर की बात की जाए, तो उन्हें 15 साल की उम्र में इंग्लैंड के खिलाफ अंडर-19 टीम में खेलने का मौका मिला। इसके बाद श्रीलंका के खिलाफ अंडर-17 क्रिकेट में भी उनको सिलेक्ट किया गया। जिसके चलते सुरेश रैना लोगों की नजर में आने लगे। 2004 में सुरेश रैना को अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए लिए भी चुना गया। जिसमें उन्होंने अपनी बल्लेबाजी का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए तीन अर्धशतक लगाए।
श्रीलंका के खिलाफ किया डेब्यू
इसके बाद रैना ने 30 जुलाई 2005 को श्रीलंका के खिलाफ सीनियर टीम में डेब्यू किया और जल्द ही भारतीय टीम के स्टार प्लेयर बन गए। पिछले साल रिटायरमेंट से पहले उन्होंने भारत के लिए 18 टेस्ट में 768, 226 वनडे में 5615 और 78 टी20 में 1605 रन बनाए है।
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आईपीएल की धाकड़ बल्लेबाजी
इतना ही नहीं रैना आईपीएल में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले चौथे बल्लेबाज हैं। आईपीएल में उनके नाम 205 मैचों में 5528 रन है। उन्होंने अपने आईपीएल करियर में 1 शतक और 39 फिफ्टी लगाई है।
आईपीएल के इस सीजन में अनसोल्ड रहे सुरेश रैना
इस साल फरवरी महीने में हुई इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) में दिग्गज अनुभवी क्रिकेटर सुरेश रैना दो दिवसीय आईपीएल नीलामी के दौरान अनसोल्ड रह गए थे। चेन्नई सुपर किंग्स (Chennai Super Kings) के सीईओ कासी विश्वनाथ (Kasi Vishwanath) ने बताया था कि फ्रेंचाइजी ने रैना के लिए बोली क्यों नहीं लगाई। कासी विश्वनाथ ने कहा, "रैना पिछले 12 वर्षों से सीएसके के लिए सबसे लगातार प्रदर्शन करने वालों में से एक रहे हैं। बेशक, रैना का नहीं होना हमारे लिए बहुत मुश्किल था, लेकिन साथ ही, आपको यह भी समझना चाहिए कि टीम की संरचना फॉर्म पर निर्भर करती है, और उस तरह की टीम जो कोई भी टीम रखना चाहेगी।"
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कश्मीरी पंडित है सुरेश रैना का परिवार
सुरैश रैना के पिता कश्मीरी पंडित थे। सुरेश के पिता त्रिलोकचंद जम्मू-कश्मीर के रैनावाड़ी के रहने वाले थे, जो उनका पुश्तैनी गांव है। वह 1990 के दशक में कश्मीर पंडितों की हत्या के बाद गांव से चले गए थे और मुरादनगर में बस गए थे। वह अपने वेतन के रूप में प्रति माह ₹10,000 कमाते थे, जो रैना के लिए क्रिकेट कोचिंग की फीस वहन करने के लिए बहुत कम था।
उन्होंने रैना को 1998 में लखनऊ के गुरु गोबिंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में भर्ती कराया था। यही से रैना ने एक क्रिकेटर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। रैना किसी ऐसी बात का उल्लेख न करने से सावधान रहते हैं जो उन्हें कश्मीर में त्रिलोकचंद के संघर्ष की याद दिलाती है। रैना की ताकत और किसी भी चुनौती को स्वीकार करने की क्षमता ज्यादातर उनके पिता से आती है।
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6 फरवरी को पिता का निधन
त्रिलोकचंद रैना का सुरेश पर बहुत बड़ा प्रभाव था। रैना भारत में जहां भी रहे अपने पिता के साथ ही रहे। साथ ही, जब वह भारतीय खेमे के साथ नहीं थे, तो वह गाजियाबाद में ही बच्चों को क्रिकेट के गुर सिखाते थे, क्योंकि वह अपने माता-पिता के करीब रहना चाहते थे। त्रिलोकचंद का निधन इसी सााल 6 फरवरी को हुआ था।