सार
फिलहाल, परनीत कौर ना तो कांग्रेस के लिए प्रचार कर रही हैं, ना ही अपने पति कैप्टन अमरिंदर सिंह या उनकी पार्टी के लिए। इसी बीच, एक नया घटनाक्रम पटियाला में हुआ है। वह यह है कि आज उन्हें भाजपा की बैठक में आमंत्रित किया गया है।
पटियाला। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी रानी परनीत कौर ने शनिवार को पहली बार खुलकर भाजपा और गठबंधन का समर्थन किया। वे शनिवार शाम पटियाला में आयोजित भाजपा की बैठक में शामिल होने पहुंचीं। कौर के इस बैठक में शामिल होने की खबर एशियानेट न्यूज हिंदी ने सबसे पहले ब्रेक की थी। परनीत कौर ने यहां भाजपा और पंजाब लोक कांग्रेस के प्रत्याशियों को जिताने की अपील की। भाजपा की इस बैठक में पटियाला से कांग्रेस की लोकसभा सांसद परनीत कौर को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। परनीत कौर के पति कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला विधानसभा सीट से अपनी पार्टी PLC से उम्मीदवार हैं।
परनीत कौर का भाजपा की इस बैठक में शामिल होने के बड़े सियासी मायने हैं। 13 फरवरी को कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पटियाला में रैली करने आ रहे हैं। इससे एक दिन पहले परनीत कौर के भाजपा की बैठक में शामिल होने से राजनीति में एक बड़ी हलचल मानी जा रही है। परनीत अपने पति के लिए वोट मांगने पहुंचीं। दोपहर तक परनीत कौर के इस बैठक में आने की चर्चाएं थी। बता दें कि समाना में दो दिन पहले उन्होंने एक बयान दिया था और कहा था कि परिवार पहले, पार्टी बाद में। परनीत कौर वहां पंजाब लोक कांग्रेस के प्रत्याशी के साथ मीटिंग करने आई थीं। परनीत कौर अभी तक ना तो कांग्रेस पार्टी छोड़ी है और ना पार्टी ने उनको बाहर निकाला है।
पटियाला में ये बैठक बुंदेला मंदिर के पास आयोजित की गई थी। हालांकि, ये आमंत्रण नया नहीं है। उन्हें पहले भी भाजपा की ओर से निमंत्रण मिलता रहा है। यह अलग बात है कि वह पहुंचती नहीं थीं। उनकी जगह उनकी बेटी बीबा जय इंदर कौर शामिल होती रही हैं। बीबा ही अपने पिता कैप्टन का प्रचार भी कर रही हैं। परनीत कौर खुलकर अभी पति के प्रचार के लिए आगे नहीं आईं हैं। यह जरूर बोला जा रहा है कि रानी घर से ही पति के प्रचार की कमान संभाले हुए हैं।
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भाजपा की बैठक में हिस्सा लिया तो निकलेंगे मायने?
नजदीकी सूत्रों ने बताया कि आज रानी के कार्यालय ने बैठक स्थल की लोकेशन शेयर की है। इससे यह माना जा रहा है कि रानी आज की बैठक में भाग ले सकती हैं। शुक्रवार को पटियाला में गृहमंत्री अमित शाह की रैली है। अब यदि रानी इस बैठक में हिस्सा लेती हैं तो इसका यह मतलब होगा कि उन्होंने भी कांग्रेस से बगावत कर दी है। परनीत कौर यहां से 1999, 2004 और 2009 में सांसद रहीं। 2014 में धर्मवीर गांधी ने आप के टिकट पर उन्हें हराया था। लेकिन, 2019 में फिर कांग्रेस के टिकट पर सांसद बन गई थीं।
परनीत कौर सोच-समझकर कदम उठा रहीं
फिलहाल, कहा जा रहा है कि रानी सोच-समझ कर चल रही हैं। वह वक्त और हालात दोनों को भांप रही हैं। उन्होंने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे पार्टी उन पर कोई एक्शन ले सके। हालांकि पार्टी की ओर से उन्हें एक नोटिस जरूर दिया था। इसका जवाब उन्होंने नहीं दिया। यह बोल दिया कि ट्वीट से नोटिस आया है। अब पता नहीं, यह सही सोर्स से भी आया या नहीं।
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रानी पर एक्शन भी नहीं ले पा रही कांग्रेस
तो क्या परनीत कौर के खिलाफ कांग्रेस कोई सख्त एक्शन ले सकती है? इस सवाल के जवाब में पटियाला के स्थानीय पत्रकार सुमित शर्मा ने बताया कि शायद नहीं। क्योंकि अब कांग्रेस में मजबूती नहीं रही, जो साल की शुरुआत में नजर आ रही थी। यहां कांग्रेस के पास चेहरा ही नहीं है। कैप्टन के जाने के के बाद विधायक के लिए उम्मीदवार खोजने में भी भारी दिक्कत आई। बाद में कांग्रेस ने यहां से विष्णु शर्मा को दिया है। लेकिन, उनकी पटियाला में पकड़ नहीं है।
पटियाला में कमजोर हो जाएगी कांग्रेस
पूर्व सांसद धर्मबीर गांधी अब नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे में पहुंचे हैं। लेकिन, वह चुनाव लड़ने के लिए मना करते रहे हैं। अभी भी उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के साथ नहीं, बल्कि सिद्धू का साथ दे रहे हैं। कैप्टन के जाने के बाद यदि परनीत कौर भी कांग्रेस को छोड़ देती है तो कम से कम पटियाला में तो पार्टी की स्थिति खासी कमजोर हो जाएगी। इसलिए रानी के खिलाफ शायद ही पार्टी कोई सख्त एक्शन ले पाए। हालांकि, रानी की ओर से भी कोशिश की जा रही है कि वह ऐसा कोई मौका न दें, जिससे पार्टी उनके खिलाफ कोई एक्शन ले सके। यही वजह है कि वह पति की सियासी मजबूती के लिए काम तो कर रही हैं, लेकिन पर्दे के पीछे से।
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