सार
भोजपुरी फिल्म 'रंग दे बसंती' को लेकर फिल्मी पंडितों का कहना है कि लगभग 500 स्क्रीन्स पर यह फिल्म रिलीज की जानी थी। यह किसी भी भोजपुरी फिल्म के लिए अब तक की सबसे बड़ी रिलीज़ साबित होने जा रही थी।
एंटरटेनमेंट डेस्क. खेसारी लाल यादव स्टारर भोजपुरी फिल्म 'रंग दे बसंती (Bhojpuri Film Rang De Basanti)' पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा चली धुआंधार कैंची के बाद फिल्म के निर्माता रौशन सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीएफसी को दस दिनों के अंदर मामले को निपटा देने का निर्देश दिया है। मालूम हो कि पहले फिल्म को यू सर्टिफिकेट देने के बाद केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष प्रसून जोशी के रवैये से फिल्म का रिलीज डेट टल गई है। ट्रेड पंडितों के अनुसार इससे इस फिल्म को 10 करोड़ का अनुमानित महानुकसान हुआ है। फिल्म के निर्माता रौशन सिंह ने प्रसून जोशी पर उन्होंने जानबूझकर सेंसर प्रक्रिया में देरी करने का आरोप लगाया और कहा कि "हमारी फिल्म का नाम भी 2006 की आमिर खान अभिनीत हिंदी फिल्म से मिलता-जुलता है, प्रसून ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह हिंदी फिल्म से बतौर गीतकार जुड़े हुए हैं।"
CBFC ने 10 दिन में मामला निपटाने को कहा
निर्माता के आरोपों ने कई लोगों का ध्यान खींचा, जिसके बाद सीबीएफसी ने निर्माताओं को कट्स की एक सूची सौंपी। हालांकि इसमें यह उल्लेख नहीं किया गया कि फिल्म का नाम बदला जाना चाहिए, लेकिन सीबीएफसी की जांच समिति द्वारा मांगे गए संशोधनों को निर्माताओं ने अनुचित माना। फिल्म की रिलीज को महज कुछ ही दिन बाकी रह गए थे कि निर्माता रौशन सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। न्यायमूर्ति एस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पी पूनीवाला की खंड पीठ ने सीबीएफसीसी के रिवीजन कमिटी को फिल्म देखने और 10 दिनों के भीतर मामले को निपटाने को कहा है. लेकिन 22 मार्च महज 4 दिन दूर है। ऐसे में फिल्म को रिलीज करना संभव नहीं था, इसलिए फिल्म रिलीज नहीं की जा रही है। आपको बता दें कि 'रंग दे बसंती' में खेसारी लाल यादव, रति पांडे, डायना खान हैं और इसका निर्देशन प्रेमांशु सिंह ने किया है।
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