सार

दर्शन को जमानत मिलने पर उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी ने कामाख्या देवी का आभार व्यक्त किया। विजयलक्ष्मी ने कुछ दिन पहले इसी मंदिर में दर्शन किए थे। क्या है इस देवी की शक्ति और इसका दर्शन की रिहाई से क्या संबंध है?

काफी समय बाद आखिरकार दर्शन को जमानत मिल ही गई। रेणुकास्वामी हत्या मामले में दूसरे आरोपी दर्शन को रीढ़ की हड्डी की समस्या के कारण जमानत मिली है। अपनी पसंद के अस्पताल में इलाज कराने के लिए अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने छह हफ्तों की सशर्त मेडिकल जमानत मंजूर कर ली है। इसके साथ ही करीब साढ़े चार महीने बाद दर्शन अस्थायी रूप से जेल से रिहा होंगे। लेकिन इस दौरान दर्शन की पत्नी विजयलक्ष्मी ने एक महान देवी को नमन किया है। महाकारणिक की उस देवी के मंदिर में कुछ दिन पहले विजयलक्ष्मी गई थीं। अब उस देवी के मंदिर की फोटो अपने सोशल मीडिया स्टेटस पर डालकर 'थैंकफुल, ग्रेटफुल, ब्लेस्ड' लिखा है।

आखिर वह देवी कौन हैं, दर्शन के रिहा होते ही विजयलक्ष्मी ने उस मंदिर की फोटो शेयर क्यों की? इस देवी की शक्ति कैसी है, इसकी जानकारी यहां दी गई है।

विजयलक्ष्मी ने हाल ही में इस मंदिर में दर्शन के दौरान की फोटो सोशल मीडिया पर डाली थी। यह बहुत ही चमत्कारी कामाख्या देवी का मंदिर है। असम राज्य के गुवाहाटी शहर के पश्चिमी भाग में नीलाचल पहाड़ी पर स्थित यह शक्तिपीठ है। यह भुवनेश्वरी, बगलामुखी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर सुंदरी और तारा देवी सहित महाशक्ति पीठ है। यह तांत्रिक गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध है। तंत्र विद्या के साधक इस देवी की श्रद्धा-भक्ति से पूजा करते हैं। क्योंकि भुवनेश्वरी, बगलामुखी, छिन्नमस्ता, महात्रिपुर सुंदरी, तारा देवी तांत्रिक विद्या में आने वाली महाशक्तियां हैं। इन सभी देवियों के महाशक्ति रूप में कामाख्या की इस शक्तिपीठ की देवी का स्वरूप है, ऐसा भक्त मानते हैं।

इसके अलावा जादू-टोने से छुटकारा पाने, बुरी शक्तियों से मुक्ति पाने के लिए भी बहुत से लोग इस मंदिर में आते हैं। सदियों पुराना इतिहास रखने वाला यह देवी स्थल अपनी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व और विशेषता से ही भक्तों को आकर्षित करता है। इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। प्रचलित कथाओं के अनुसार, 'माता सती' के शरीर के 51 टुकड़े जहां-जहां गिरे, उन जगहों को शक्तिपीठ माना जाता है। उन्हीं शक्तिपीठों में कामाख्या देवी का मंदिर भी शामिल है।

यहां माता सती की योनि गिरी थी, ऐसा माना जाता है, इसलिए यहां सती के योनि रूप की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 8वीं-9वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन बाद में यहां कई नए निर्माण, पुनर्निर्माण कार्य भी होते रहे, इसका उल्लेख भी मिलता है। अंत में यहां नीलाचल नामक वास्तुकला शैली अपनाई गई है।

दर्शन के जेल जाने पर विजयलक्ष्मी इस मंदिर में दर्शन के लिए गई थीं। पति की रिहाई के लिए प्रार्थना की थी। आखिरकार दर्शन के जेल से रिहा होने पर विजयलक्ष्मी ने इसे देवी का आशीर्वाद ही माना है और इस मौके पर देवी को याद किया है।