सार

महाराष्ट्र के अमरावती में हुई हिंसा की आड़ में इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। इसके साथ एक झूठा दावा किया जा रहा है।

क्या वायरल हो रहा है: सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें सड़क पर कुछ कार्यकर्ता झंडे लिए नजर आ रहे हैं। पोस्ट पर लिखा है, "त्रिपुरा दंगे के खिलाफ मुसलमानों ने कल किए गए बंद के बाद आज भाजपा के विरोध प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र के अमरावती में कर्फ्यू। हिंदुज्म और हिंदुत्व को समझने के लिए इससे बढ़िया उदाहरण नहीं मिलेगा। हिंदुज्म की रक्षा करना ही हिंदुत्व का काम है। जय जय श्री राम।" दरअसल, ये पोस्ट महाराष्ट्र के अमरावती में सांप्रदायिक तनाव बढ़ने के कुछ दिनों बाद वायरल हो रही है। पोस्ट में भीड़ भगवा झंडा लहराते हुए दिख रही है।

वायरल पोस्ट का सच:

  • महाराष्ट्र के अमरावती में सांप्रदायिक तनाव भड़कने के कुछ दिनों बाद करीब 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है। हिंसा 12 नवंबर को शुरू हुई। कुछ मुस्लिम संगठनों ने त्रिपुरा में हिंसा के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। एक दिन बाद बंद का आह्वान कर तोड़फोड़ की गई।  
  • वायरल वीडियो की पड़ताल करने पर पता चला कि ये साल 2019 का वीडियो है। कर्नाटक के कलबुर्गी में राम नवमी समारोह के दौरान शूट किया गया था। दरअसल, वीडियो का सच जानने के लिए गूगल के रिवर्स इमेज की मदद ली गई। इस दौरान कई लिंक मिले। क्लिक करने पर पता चला कि ये वीडियो कर्नाटक के कलबुर्गी के एक दरगाह का है। सर्च करने पर 13 अप्रैल 2019 को ANI का एक ट्वीट मिला, जो उसी दरगाह का था। कैप्शन में लिखा था, कर्नाटक: कलबुर्गी में आज से पहले किए गए रामनवमी जुलूस की तस्वीर। जुलूस के दौरान मुसलमानों को भगवान राम के भक्तों को रस बांटते हुए देखा गया।

 निष्कर्ष: वायरल पोस्ट की पड़ताल करने पर पता चाल कि ये वीडियो अमरावती का नहीं है। इस साल का भी नहीं है। इस वीडियो को साल 2019 में कर्नाटक के कलबुर्गी में शूट किया गया था। महाराष्ट्र के अमरावती में वीडियो का कोई लेना देना नहीं है।

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