सार

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को 10 हजार से ज्यादा बार देखा गया है। इसके साथ जो दावा किया जा रहा है वह बड़ा ही खतरनाक है। बिना सच जाने लोग वीडियो को तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर कर रहे हैं।

 

क्या वायरल हो रहा है: त्रिपुरा में हुई हिंसा के नाम पर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में भयंकर भीड़ दिख रही है। हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर मार्च कर रहे हैं। लगभग सभी लोग सफेद कपड़े पहने हुए हैं। वीडियो में दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो केरल का है, जहां त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा का विरोध किया गया। वीडियो को हिंदू-मुसलमान से जोड़ा जा रहा है। आरोप लगाया गया है कि विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों ने त्रिपुरा के पानीसागर में एक मस्जिद और कुछ मुस्लिमों की संपत्तियों में तोड़फोड़ की। 2 मिनट 20 सेकंड के वीडियो को करीब 10 हजार से ज्यादा बार देखा गया है। फेसबुक सहित ट्विटर और व्हाट्सएप पर शेयर भी किया गया।    

वायरल वीडियो का सच: 

  • वायरल वीडियो की पड़ताल करने के लिए गूगर के टूल रिवर्स इमेज की मदद ली गई। वीडियो से कुछ स्क्रीन शॉट लेकर उसे गूगर रिवर्स इमेज सर्चिंग की गई। इस दौरान कई लिंक मिले। एक लिंक को ओपन करने पर पता चला कि ये वीडियो एक साल पुराना है। पिछले साल जनवरी में केरल के मन्नारक्कड़ में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध के दौरान वीडियो को शूट किया गया था।
  • सच की पड़ताल करने के लिए वीडियो को फ्रेम बाई फ्रेम देखा गया। इसमें कुछ जगहों पर मलयालम भाषा में कुछ घोषणाएं की जा रही हैं। हमने इससे जुड़े कुछ की-वर्ड का इस्तेमाल करके इंटरनेट पर सर्च किया तो एक वीडियो का लिंक मिला। 3 जनवरी 2020 को इंस्टाग्राम पर इस वीडियो को अपलोड किया गया था। 
  • वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा है, #rejectnrc #rejectcaa #Mannarkkad। वीडियो के 1 मिनट 7 सेकंड पर एक बैनर दिखता है जिस पर लिखा है, संवैधानिक संरक्षण रैली। 
  • 3 जनवरी 2020 को YouTube चैनल मन्नारक्कड़ लाइव पर भी वीडियो को अपलोड किया है। वीडियो के शुरुआत में भी यही बैनर देखा जा सकता है। वीडियो में कहा गया है कि मन्नारक्कड़ में नागरिकता बिल के खिलाफ एक विरोध रैली है। बैनर में मलयालम में मन्नारक्कड़, सीएए और एनआरसी के साथ 3 जनवरी 2020 की तारीख लिखी है।   

निष्कर्ष: वायरल वीडियो की पड़ताल करने पर पता चला कि ये 3 जनवरी, 2020 को केरल के मन्नारक्कड़ में की गई सीएए विरोधी रैली के दौरान का है। उस समय पूरे देश में इस अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया था। लगभग दो साल पुराने एक वीडियो को त्रिपुरा में हुई हिंसा के खिलाफ झूठे दावे के साथ फैलाया जा रहा है। 

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