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UPSC 2020: नौकरी छोड़कर की तैयारी, पिता के भरोसे ने बढाया आत्मविश्वास, चौथे अटेम्प्ट में IAS बना यूपी का लाल
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नौकरी छोड़ने का फैसला नहीं था आसान
विधु शेखर ने अगस्त 2017 में नौकरी छोड़ी और नवम्बर 2017 में मेन परीक्षा में शामिल हुए। यह यूपीएससी में उनका पहला प्रयास था। जनवरी में मुख्य परीक्षा के नतीजे आए तो उसमें वह पास नहीं हुए थे। यह उनके लिए किसी सदमें की तरह था। तब उन्हें महसूस हुआ की नौकरी छोड़कर उन्होंने रिस्क लिया है। उनका कहना है कि यह खुद के करियर को खतरे में डालने जैसा था, क्योंकि प्राइवेट नौकरी में यदि कोई प्रोफेशनल दो—तीन साल तक नौकरी नहीं करता है तो उसे आगे नौकरी मिलना मुश्किल हो जाता है। मौजूदा समय में योग्य प्रोफेशनल्स की कमी नहीं है। टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है। ऐसे में उन्हें लग रहा था कि यदि यूपीएससी में सफल नहीं हुए तो वह अपने करियर में किस तरफ कदम आगे बढाएंगे? पर उन्हें खुद पर विश्वास था कि वह यूपीएससी परीक्षा क्रैक कर लेंगे। उनका यह आत्मविश्वास ही उनके लिए मोटिवेशन बना।
पहले अटेम्पट में मुख्य परीक्षा में अटके
लखनऊ के सरोजनी नायडू मार्ग निवासी विधु शेखर ने वर्ष 2012 से 2016 तक IIIT से बीटेक करने के बाद नौकरी शुरू की। वह एक प्राइवेट कम्पनी में बतौर साफ्टवेयर इंजीनियर काम कर रहे थे। उस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। समय निकालकर वह सामान्य ज्ञान और अन्य विषयों का अध्ययन करते रहें और यूपीएससी परीक्षा के लिए अप्लाई किया। वर्ष 2017 में हुई संघ लोक सेवा आयोग की प्रीलिम्स परीक्षा के नतीजे उनके पक्ष में आए, तो वह नौकरी छोड़कर पूरी तरह परीक्षा की तैयारी में जुट गए। हालांकि पहले प्रयास की मेन एग्जाम में उत्तीर्ण नहीं हो सकें लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खुद को पूरी तरह परीक्षा की तैयारी के लिए समर्पित कर दिया।
2018 में भारतीय राजस्व सेवा में हुआ था चयन
एक बार फिर विधु शेखर यूपीएससी की वर्ष 2018 की परीक्षा में शामिल हुए। तब उनकी 173वीं रैंक आयी थी। उनका चयन भारतीय राजस्व सेवा (इनकम टैक्स) में हुआ था। वर्तमान में वह नेशनल अकादमी ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (NADT), नागपुर में प्रशिक्षणरत हैं लेकिन ट्रेनिंग के दौरान भी उन्होंने परीक्षा की तैयारी जारी रखी और यूपीएससी की वर्ष 2019 की परीक्षा में शामिल हुए। उसमें भी उन्हें सफलता मिली। तीसरे प्रयास में उन्हें 191वीं रैंक मिली थी।
प्रतिदिन 8 घंटे करते थे पढ़ाई
विधु शेखर प्रतिदिन करीबन 8 घंटे पढ़ाई करते थे। ऐसा भी समय आया, जब कोरोना की वजह से यूपीएससी की तैयारी बाधित हुई तो उन्होंने ऑनलाइन मोड का सहारा लिया। मुख्य परीक्षा के लिए टयूटोरियल से भी मदद मिली। अन्य विषयों के टीचर्स ने उनका सहयोग किया। सेल्फ स्टडी भी की। ट्रेनिंग के दौरान भी उन्हें जब समय मिलता था। वह परीक्षा की तैयारियों में जुट जाते थे। यूपीएससी 2020 की परीक्षा में वह ट्रेनिंग के दौरान ही शामिल हुए। इस बीच ट्रेनिंग के असाइनमेंट पूरे करना और पढ़ाई पर भी फोकस करना चुनौती से कम नहीं थे। मूवी और फुटबॉल मैच देखना उनकी हॉबी है।
कुलपति रहे हैं पिता, जीजा भी हैं आईएएस
विधु शेखर के पिता प्रोफेसर निशीथ राय लखनऊ के डा. शकुंतला मिश्रा नेशनल रिहैबिलिटेशन यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे हैं। मां अनीता राय गृहिणी हैं। उनकी बड़ी बहन शचि राय लखनऊ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उनके जीजा मनीष कुमार उत्तराखंड काडर के वर्ष 2018 बैच के आईएएस हैं। विधु शेखर की प्रारम्भिक शिक्षा लखनऊ के ही लामार्टिनियर ब्वायज कॉलेज से हुई है।
असफल होने के बाद अपनी कमियों को समझा
विधु शेखर कहते हैं कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी व चयन तक की यात्रा बड़ी लंबी होती है। इस यात्रा में अपना मोटिवेशन बनाए रखना है। हार्ड वर्क करना है। काफी लोग संघर्ष करते भी हैं। यदि व्यक्ति लग्न से लगा रहता है, तो सफलता मिलती है। यदि आप यह सोचेंगे कि सफलता किन कारणों से नहीं मिली है और उन कारणों की पड़ताल कर, उन्हें सुधारेंगे, तो आपको सफलता निश्चित मिलेगी। उन्होंने भी मुख्य परीक्षा में असफल होने के बाद अपनी कमियों को समझा और उसमें सुधार लाएं। विधु कहते हैं कि यदि आप ज्यादा सोचेंगे तो निराशा होगी। योजना बनाइए और अपने प्रयास में लगे रहिए। जब भी आप निराश हों। दोस्तों, परिवारवालों और टीचर्स से चर्चा करें। उससे आपको मदद मिलेगी।
परीक्षा की तैयारी में बन रहा है बाधा तो छोड़ें सोशल मीडिया
सोशल मीडिया से काफी डिस्ट्रैक्शन हो जाता है, जो अभ्यर्थी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करते हैं। वह परीक्षा के समय में सोशल मीडिया छोड़ ही देते हैं। हालांकि सोशल मीडिया से आपको काम की जानकारी मिल सकती है लेकिन यदि आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीमित रखेंगे, तो वह आपके लिए हितकर होगा। यह आप पर भी निर्भर करता है, यदि सोशल मीडिया आप के परीक्षा की तैयारी में बाधा बन रहा है तो आप उसे नजरअंदाज करिए। परीक्षा की तैयारी में बहुत समर्पण चाहिए।
पिता के भरोसे ने बढ़ाया आत्मविश्वास
अपनी सफलता का श्रेय परिवारजनों को देते हुए विधु कहते हैं कि उनके पिता प्रोफेसर निशीथ राय ने उन्हें परीक्षा की तैयारी के लिए मोटिवेट किया। उनके पिता को पूरा भरोसा था कि वह यूपीएससी की परीक्षा में सफल होंगे। उनका यह भरोसा विधु का आत्मविश्वास बढाता था। उसी दौरान उन्होंने अपने जीजा मनीष कुमार को भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होते हुए नजदीक से देखा। उनके जीजा भी उन्हें टिप्स देते रहते थे। इससे उनको प्रेरणा मिली कि वह भी यूपीएससी की परीक्षा क्रैक कर सकते हैं। टीचर्स ने भी उनका मनोबल बढ़ाया।
यदि सवालों का जवाब नहीं आता तो अनुमान मत लगाइए
विधु कहते हैं कि इंटरव्यू वाले दिन अच्छे से सोकर जाइए। नींद पूरी नहीं होने से अगले दिन तनाव बना रहता है। रिलैक्स रहेंगे तो आप बेहतर तरीके से इंटरव्यू बोर्ड के समक्ष अपना प्रेजेंटेशन दे पाएंगे। बोर्ड में भी बहुत ही अच्छे लोग होते हैं। इंटरव्यू में आप खुद पर भरोसा रखकर जाइए कि आप यहां तक आए हैं तो आपके अंदर कुछ योग्यता है, तभी आप यहां तक आए हैं। इंटरव्यू में आपको यदि किसी सवाल का जवाब नहीं आता है तो अनुमान से सवालों का जवाब मत दीजिए। एक से दो सवाल का जवाब यदि आपने अनुमान से दिया तो आप आईएएस बनने की रेस से बाहर भी हो सकते हैं। यदि आपको जवाब नहीं आता है तो ईमानदारी से इसे स्वीकार कर लीजिए। इंटरव्यू में ईमानदारी की वैल्यू काफी अच्छी मानी जाती है।
देश की ग्रोथ स्टोरी में रोल प्ले करना चाहते हैं तो सिविल सर्विस अच्छा प्लेटफार्म
विधु शेखर कहते हैं कि भारत अवसरों का देश है। हमारा देश काफी तेजी से विकसित हो रहा है। आपको जिस भी क्षेत्र में जाना है। आपके पास बहुत अवसर हैं। आगामी दशक में भारत की काफी तेजी से ग्रोथ होगी। यदि आपको सिविल सर्विस में जाना है तो यही मौका है। अगर आपको लगता है कि आप भारत के विकास की कहानी में रोल प्ले करना चाहते हैं, महत्वपूर्ण जगह पर आना चाहते हैं तो सिविल सर्विस अच्छा प्लेटफार्म रहेगा। यदि नहीं चाहते हैं तो आपके पास काफी अन्य अवसर हैं जो आप कर सकते हैं। समाज में प्रशासनिक सेवा अहम भूमिका निभाती है। करियर का यह बहुत अच्छा विकल्प है। यदि आप यहां काम करेंगे तो आपको संतुष्टि मिलेगी कि आप जनता के लिए काम कर रहे हैं।
मिसगाइड और डिमोटिवेट नहीं होना
विधु का कहना है कि यूपीएससी का पाठयक्रम अनन्त है। तैयारी के लिए अभ्यर्थी अपनी रणनीति बनाएं। मिसगाइड और डिमोटिवेट नहीं होना है। टाइम टेबल बनाइए। संभव है कि एक दो बार में रैंक नहीं आए। पर आप कंसिस्टेंसी के साथ परीक्षा की तैयारी में लगे रहिए। यदि आपका मन पढाई में नहीं भी लग रहा है तो भी आपको हर दिन थोड़ा थोड़ा जरूर पढना है। जितनी ज्यादा प्रैक्टिस करेंगे, उतना ही आपके लिए अच्छा रहेगा। उससे फायदा यह होगा कि परीक्षा के प्रेशर को आप हैंडल कर पाएंगे। दूसरी बात यह है कि बहुत ज्यादा किताबों के पीछे मत भागिए। सोर्सेज सीमित रखिए। अभ्यास ज्यादा करिए।
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