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- 10 स्पॉट, जो राजस्थान को बनाते हैं और खूबसूरत, जिन्हें देखने अमेरिका-इंग्लेंड से आते हैं लोग, देखिए Photos
10 स्पॉट, जो राजस्थान को बनाते हैं और खूबसूरत, जिन्हें देखने अमेरिका-इंग्लेंड से आते हैं लोग, देखिए Photos
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हवा महल, जयपुर
हवा महल (Hawa Mahal) को ताज के आकार में बनाया गया है। सवाई प्रताप सिंह को भगवान कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त माना जाता था। इसलिए कुछ लोग इसकी तुलना भगवान कृष्ण के मुकुट से भी करते हैं। पिरामिड के आकार के कारण यह स्मारक सीधी खड़ी है। यह पांच मंजिला इमारत है, लेकिन ठोस नींव की कमी के कारण यह घुमावदार और 87 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है। हवा महल में 953 खिड़कियां हैं जो राजपूत महिलाओं के लिए बनवाया गया था। हवा महल पांच मंजिला इमारत है, लेकिन कोई सीढ़ियां नहीं हैं।
नाहरगढ़ फोर्ट, जयपुर
अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है नाहरगढ़ किला (Nahargarh Fort) दिखने में जितना अद्भुत है उतना ही विशाल भी। किले को जयसिंह द्वितीय ने सन् 1734 में बनवाया था। जो एक विशाल दीवार द्वारा जयगढ़ किले से जुड़ा हुआ है। आमेर और जयगढ़ किले की ही तरह ये किला भी शहर की सुरक्षा का काम करता है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से टूरिस्ट आते हैं।कई मशहूर फिल्मों जैसे रंग दे बसंती और जोधा-अकबर फिल्मों के कई सीन यहां शूट हुए हैं। पहले इस किले का नाम सुदर्शनगढ़ था जिसे बाद में बदलकर नाहरगढ़ रखा गया। रानियों के लिए अलग-अलग और बहुत ही सुंदर खंड हैं। नाहरगढ़ किले से पूरे शहर का नजारा बहुत ही खूबसूरत नजर आता है। यह किला 700 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है।
जूनागढ़ किला, बीकानेर
जूनागढ़ किले को राजस्थान का 'ताज' कहा जाता है। यह बीकानेर का बेहद खास किला है। इसकी खूबसूरती हर किसी का दिल जीत लेती है। इसका निर्माण 1478 में महाराजा राव बीका ने करवाया था। उन्हीं के नाम पर शहर का नाम बीकानेर पड़ा। इसकी एक और खासियत है कि इस पर कई आक्रमणकारियों ने हमला किया लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। जूनागढ़ किला मुगल, गुजराती और राजपूत कलाओं का अद्भुत मिश्रण है। इस किले में शीशे और लाख का काम बेहद खूबसूरती से किया गया है। इस किले एक बड़े हिस्से को अब म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है। यहां घूमने के लिए भारत के साथ विदेश पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते हैं।
जल महल, जयपुर
जल महल जयपुर के मानसागर झील के मध्य स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल है। जलमहल पांच मंजिला इमारत है जिसकी चार मंजिल पानी के भीतर बनी हैं और एक पानी के ऊपर नजर आती है। 300 साल पहले 1799 में आमेर के महाराज ने इस महल का निर्माण करवाया था। 15 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में अकाल पड़ने के बाद आमेर के शासक ने बांध बनाने का निश्चय किया ताकि आमेर और अमागढ़ के पहाड़ों से निकलने वाली पानी को इकठ्ठा किया जा सके। पानी की निकासी के लिए पानी के भीतर तीन दरवाजे बनाए गए और मानसागर झील बनाकर तैयार की गई। झील की सुंदरता राजाओं के आकर्षण का केंद्र थी। राजा अक्सर नाव में बैठ सैर किया करते थे। राजा सवाई जयसिंह ने झील के बीचों-बीच महल बनाने का निश्चय किया ताकि वह अश्वमेघ यज्ञ के बाद अपनी रानी और पंडितों के साथ झील के मध्य में शाही स्नान करवा सके।
जैसलमेर फोर्ट
जैसलमेर फोर्ट (Jaisalmer Fort ) को जो भी पर्यटक देखने आता है वह पूरी तरह आश्चर्य से भर जाता है। त्रिकुटा हिल पर बना जैसलमेर फोर्ट अपनी बेहतरीन संरचना के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इसका निर्माण साल 1156 में भाटी राजपूत राजा रावल जैसल ने कराया था। 1294 के आसपास, भाटी साम्राज्य को अलाउद्दीन खिलजी द्वारा 8 से 9 साल की घेराबंदी का सामना करना पड़ा। 1551 के आसपास रावल लूनाकरण के शासन के दौरान, किले पर फिर से अमीर अली ने हमला किया था। जिसके बाद राजा को अपनी बेटी की शादी हुमायूं के बेटे अकबर से करनी पड़ी। इसके बाद किले पर आक्रमण होने से बच गया ओर किले को सुरक्षित बचा लिया गया। आज भी लोग यहां घूमने आते हैं और इसकी सुंदरता की कसीदें पढ़ते हैं।
सिटी पैलेस, जयपुर
सिटी पैलेस (city palace) राजस्थान का सबसे खूबसूरत आकर्षण में से एक है। इस महल को 1729 से 1732 के बीच महाराजा सवांई जयसिंह ने बनवाया गया था। खूबसूरती के मामले में यह महल बहुत ही शानदार है। इसमें कई महल हैं, चंद्र महल और मुबारक महल। इसका आंगन, इसकी इमारतें इतनी खूबसूरत बनाई गए हैं कि जो यहां आता है, एक बार उसका मन यहीं बस जाने का करता है।
आमेर किला, जयपुर
आमेर किला (Amber Fort) जयपुर का एक बहुत बड़ा किला है। यहां विदेशों से भी बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं। जयपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस किले को गुलाबी और पीले बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। इस किले का निर्माण 16वीं सदी में कराया गया था। किला राजा मान सिंह के समय में बनना शुरू हुआ था, लेकिन राजा सवाई जय सिंह द्वितीय और राजा जय सिंह प्रथम के समय में भी इसका निर्माण कार्य चलता रहा। इसे अंबर किले के नाम से भी जाना जाता है। जो मां अंबा देवी के नाम पर रखा गया है। यहां रहने वाले मीणाओं का मां दुर्गा में गहरा विश्वास था और उन्होंने मां के नाम पर ही इस किले का नाम रख दिया।
विजय स्तंभ, चित्तौड़गढ़
विजय स्तंभ (Vijay Stambh) चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है। इसका निर्माण चित्तौड़गढ़ दुर्ग के ऊपर करवाया गया है। विजय स्तंभ को जीत का प्रतीक माना जाता है, विजय स्तंभ का निर्माण महाराणा कुंभा ने 1448 ईस्वी में करवाया था। महाराणा कुंभा ने अपने इष्ट देव भगवान विष्णु के लिए इस विजय स्तंभ का निर्माण करवाया। विजय स्तंभ के अलावा इसे विष्णु स्तंभ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक 9 मंजिला इमारत है जिसकी ऊंचाई 122 फीट और चौड़ाई 30 फीट है। इस स्तंभ के आंतरिक और बाहरी क्षेत्र में भगवान और देवी देवताओं की सुंदर-सुंदर मूर्तियां उत्कीर्ण है। इन मूर्तियों में ब्रह्मा जी, विष्णु जी, उमामाहेश्वर, लक्ष्मी नारायण, सावित्री, हरिहर, अर्धनारीश्वर और माता महालक्ष्मी जी की बहुत ही कलात्मक मूर्तियां उत्कीर्ण है। विजय स्तंभ के ऊपर जाने के लिए 157 सीढ़ियां बनी हुई है।
माउंट आबू, सिरोही
माउंट आबू (Mount Abu) राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन, जो अपने शांत और हरे-भरे वातावरण के लिए जाना जाता है। माउंट आबू पर्यटन स्थल अरावली रेंज में पथरीले पठार पर मौजूद है, जो घने जंगलों से घिरा हुआ है। इस जगह की शांत जलवायु और मैदानों का दृश्य पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू में बड़ी संख्या में लोग घूमने आते हैं घने जंगलों से घिरी यह जगह लोगों का मन मोह लेती है। यहां का अचलगढ़ किला, टॉड रॉक, नक्की झील और गोमुख मंदिर भी काफी पॉपुलर है।
पुष्कर का तालाब, अजमेर
जयपुर के दक्षिण पश्चिम में स्थित अजमेर हिन्दू-मुस्लिम धर्म का संगम स्थल रहा है। अजमेर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुष्कर मंदिरों और झीलों के लिए प्रसिद्ध है। अरावली पर्वत श्रृंखला का नाग पर्वत अजमेर और पुष्कर को अलग करता है। यह भगवान ब्रह्मा के एकमात्र मंदिर के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। इसे भगवान ब्रह्मा का निवास स्थान भी कहा जाता है। मन्दिर के बगल में ही एक मनोहर झील है जिसे पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है। पुष्कर झील का इतिहास चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से है। झील का निर्माण 12वीं शताब्दी में उस वक्त शुरू हुआ था, जब लूनी नदी के ऊपर बांध बनाया गया था। कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह ने झील के किनारे गुरु ग्रंथ साहिब का पवित्र भाषण दिया था।