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यहां खेतों में मिलता है हीरा! एक किसान ने कहा- मुझे 30 कैरेट मिला, 1.2 करोड़ रु में व्यापारी को बेचा
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जून-नवंबर में करते हैं कितनी पत्थरों की खोज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चिन्ना जोनागिरी इलाके के एक स्थानीय किसान को हीरा मिला। एसपी ने कहा कि कुरनूल जिले में हर साल जून से नवंबर के बीच कई लोग कीमती पत्थरों की तलाश में इकट्ठा होते हैं।
बारिश में कीमती पत्थर मिलने की कई कहानियां
पुलिस अधिकारी ने कहा कि इस क्षेत्र में बारिश के दिनों में कीमती पत्थरों के मिलने की खबरें पहले भी आती रही हैं। बारिश में जब मिट्टी बहती है तो वहां से ऐसे पत्थरमिलते हैं। एसपी ने कहा कि जोन्नागिरी, तुग्गली, मदिकेरा, पगीदिराई, पेरावली, महानंदी और महादेवपुरम गांवों में बारिश के बाद लोग हीरे की तलाश करते हैं।
पहले भी कीमती पत्थर मिलने की खबर आती रही है
कुरनूल जिले से लगभग हर साल हीरा मिलने की खबर आती है। 2019 में एक किसान को कथित तौर पर 60 लाख रुपए का हीरा मिला। 2020 में दो ग्रामीणों ने कथित तौर पर 5-6 लाख रुपए के दो कीमती पत्थर पाए और उन्हें स्थानीय व्यापारियों को 1.5 लाख रुपए और 50,000 रुपए में बेच दिया।
हर साल हीरा खोजने के लिए लोग टेंट लगाते हैं
हीरा मिलने की खबरों को सुनकर आस-पास के जिलों के कई लोगों आकर्षित होते हैं। ये लोग हर साल कुछ महीनों के लिए अपना काम छोड़कर हीरा खोजने के लिए टेंट लगाकर इन गांवों में ही रहते हैं। स्थानीय लोग ही नहीं, कई प्राइवेट कंपनियों के साथ सरकार ने भी हीरा खोजने के लिए पहले कई अभियान चलाए।
यहां हीरा मिलने के पीछे तीन कहानियां प्रचलित हैं
1- कुछ लोगों का कहना है कि सम्राट अशोक के समय से ही इस क्षेत्र की मिट्टी में हीरा है। ऐसा माना जाता है कि कुरनूल के पास जोनागिरी को मौर्यों की दक्षिणी राजधानी सुवर्णगिरि के नाम से जाना जाता था।
2-दूसरों का दावा है कि विजयनगर साम्राज्य के श्री कृष्णदेवराय (1336-1446) और उनके मंत्री तिमारुसु ने इस क्षेत्र में हीरे और सोने के गहनों का एक बड़ा खजाना दफन किया था।
3- एक अन्य दावे में कहा गया है कि गोलकुंडा सल्तनत (1518-1687) के दौरान क्षेत्र की मिट्टी में हीरे छिपे हुए थे, जिसे कुतुब शाही राजवंश के रूप में भी जाना जाता है, जो हीरे के लिए प्रसिद्ध था जिसे गोलकुंडा हीरे के रूप में जाना जाता था।