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राजनाथ सिंह मंगोलिया से लाए मैजेस्टिक हॉर्स,चंगेज खान ने इसी पर बैठकर जीती थी दुनिया, सबसे पावरफुल होता है दूध
उलानबटार(Ulaanbaatar). पूर्वी एशियाई देशों के साथ सामरिक साझेदारी(strategic partnership) को बढ़ावा देने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह(Defence Minister Rajnath Singh) 5 से 07 सितंबर, 2022 तक मंगोलिया की आधिकारिक यात्रा पर थे। यह मंगोलिया की किसी भारतीय रक्षा मंत्री की अब तक की फर्स्ट विजिट थी। इस दौरान मंगोलिया के राष्ट्रपति यू खुरेलसुख( U. Khurelsukh) ने भारत को एक राजसी घोड़ा(majestic horse) गिफ्ट में दिया। इस गिफ्ट पर प्रतिक्रिया देत हुए राजनाथ सिंह ने कहा-"मंगोलिया में हमारे खास दोस्तों की ओर से एक खास तोहफा। इस शानदार खूबसूरती का नाम मैंने 'तेजस' रखा है। धन्यवाद राष्ट्रपति खुरेलसुख..धन्यवाद मंगोलिया।" जानिए ये हॉर्स इतना खास क्यों है?
| Published : Sep 07 2022, 01:22 PM IST / Updated: Sep 07 2022, 01:43 PM IST
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जानिए क्यों खास है मंगोलियन राजसी घोड़ा: मंगोल घोड़ा जिसे मोरी भी कहते हैं, मंगोलिया की मूल घोड़े की नस्ल है। इस घोड़े का रिश्ता चंगेज खान के समय से रहा है। सबसे बड़ी बात तब से अब तक इसकी ब्रीड में कोई बदलाव नहीं आया है। पारंपरिक मंगोल फैशन(traditional Mongol fashion) यानी जीवनशैली में रहने वाले मंगोलियन खानाबदोश(Nomads living) के पास आज भी 3 मिलियन हॉर्स हैं। ये घोड़े इतने ताकवर होते हैं कि पूरे साल घुमंतू रहते हैं। चाहे कितनी भी भीषण गर्मी हो या हाड़ कंपाने वाली सर्दी, ये हर मौसम में बाहर ही चरते हैं।
इन घोड़ों का उपयोग खानाबदोशों के रोजमर्रा के कामों के अलावा और घुड़दौड़(horse racing) दोनों में किया जाता है। बता दें कि मंगोलिया पूर्व और मध्य एशिया में एक भूमि से घिरा (लेंडलॉक) देश है। इसकी सीमाएं उत्तर में रूस, दक्षिण, पूर्वी और पश्चिमी में चीन से मिलती हैं। मंगोलिया में संसदीय गणतंत्र है। मंगोलिया पर विभिन्न घुमंतू साम्राज्यों ने शासन किया। इन साम्राज्यों में शिंओग्नु, शियानबेई, रोऊरन, गोतुर्क और अन्य शामिल हैं।1206 में चिंगिस उर्फ चंगेज खान(Genghis Khan, जन्म-1162, मौत-18 अगस्त, 1227) ने मंगोल साम्राज्य की स्थापना की थी। इतिहास में चंगेज खान को एक क्रूर लुटेरा और शासक माना जाता है। जिसने अपनी पूरी जिंदगी युद्ध में गुजारी।
मंगोलियन घोड़ी के दूध को नेशनल पेय मिल्क के तौर पर प्रोसेस्ड(processed) यानी संसाधित किया जाता है। इस दूध को यहां ऐराग(Airag, or Ayrag) कहते हैं। कुछ लोग इसे कुमिस (kumis) भी कहते हैं। ऐराग में आमतौर पर केवल 2% अल्कोहल होता है। इसमें थोड़ा खट्टापन होता है, फिर भी स्वादिष्ट स्वाद होता है, जो ज्यादातर लोगों को पसंद आता है। यह दुनिया के कुछ मादक पेय पदार्थों(alcoholic beverages) में से एक है, जो विटामिन और खनिजों का एक शक्तिशाली स्रोत भी है।
सबसे बड़ी बात यह दूध लैक्टोज इनटोलरेंट( lactose intolerant) पी सकते हैं। दरअसल, लैक्टोज इनटोलरेंट एक तरह की बीमारी है, जिसमें मरीज डेयरी उत्पादों में चीनी (लैक्टोज) को पूरी तरह से पचाने में असमर्थ होते हैं। लैक्टोज लैक्टोज इनटोलरेंट यानी असहिष्णुता आमतौर पर शरीर में लैक्टेज नामक एंजाइम की कमी के कारण होती है। इसके लक्षणों में पेट में ऐंठन, सूजन और दस्त शामिल हो सकते हैं।
जानिए यात्रा के दौरान क्या-क्या हुआ?
राजनाथ सिंह ने 6 सितंबर उलानबटार में अपने मंगोलियाई समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल सैखानबयार गुरसेद के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। उन्होंने मंगोलिया के राष्ट्रपति और अध्यक्ष ग्रेट खुराल से भी मुलाकात की। रक्षा मंत्री ने भारत की सहायता से निर्मित एक साइबर सिक्योरिटी ट्रेनिंग सेंटर का भी उद्घाटन किया। उन्होंने भारतीय सहायता से बनने वाले भारत-मंगोलिया मैत्री स्कूल की आधारशिला रखी।
द्विपक्षीय वार्ता: 5 सितंबर की रात को मंगोलिया पहुंचने के बाद उलानबटार में रक्षा मंत्रालय में राजनाथ सिंह को औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उनके व्यस्त दिन की शुरुआत हुई। इसके बाद रक्षा मंत्री और उनके मंगोलियाई समकक्ष के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। उन्होंने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और विस्तारित करने के लिए प्रभावी और व्यावहारिक पहल पर चर्चा की और पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। दोनों मंत्रियों ने भारत-मंगोलिया संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) को पुनर्जीवित करने के अपने संकल्प को भी दोहराया, जिसकी बैठक इस वर्ष के अंत में भारत में होगी।
कॉल ऑन: राजनाथ सिंह ने मंगोलिया के राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ उखनागिन खुरेलसुख से मुलाकात की, जिसमें उन्होंने 2018 में अपने मजबूत संबंधों और पिछली बातचीत को याद करते हुए भारत की सहायता से चल रही तेल रिफाइनरी परियोजना की आधारशिला रखी थी। उन्होंने मंगोलिया के स्टेट ग्रेट खुराल के अध्यक्ष जी जंडनशतर से भी मुलाकात की।
बता दें कि भारत ने 1955 में मंगोलिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। मंगोलिया ने भारत को एक रणनीतिक भागीदार और आध्यात्मिक पड़ोसी घोषित किया है। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के दौरान दो एशियाई लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की गई थी। रक्षा मंगोलिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।