सार
चर्च परिसर में यीशु मसीह की करीब 70 साल पुरानी मूर्ति थी। घटना से मामला तनावपूर्ण हो गया है। हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने संज्ञान लिया और तुरंत पुलिस को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए। सूचना मिलने पर एएसपी पूजा डाबला टीम के साथ मौके पर पहुंचीं। पुलिस ने चर्च के फादर पतरस मुंडू की शिकायत पर केस दर्ज कर लिया है।
अंबाला। हरियाणा के अंबाला में क्रिसमस (Christmas) की रात शरारतीतत्वों ने यीशु मसीह ( Jesus Christ) की मूर्ति तोड़ दी। ये मूर्ति लारेंस रोड स्थित अंबाला कैंट में 173 साल पुरानी होली रिडीमर कैथोलिक चर्च (Holy Redeemer Catholic Church) की है। देर रात करीब डेढ़ बजे दो युवक CCTV में कैद हुए हैं। घटना से ईसाई समाज में नाराजगी है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
चर्च परिसर में यीशु मसीह की करीब 70 साल पुरानी मूर्ति थी। घटना से मामला तनावपूर्ण हो गया है। हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने संज्ञान लिया और तुरंत पुलिस को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए। सूचना मिलने पर एएसपी पूजा डाबला टीम के साथ मौके पर पहुंचीं। पुलिस ने चर्च के फादर पतरस मुंडू की शिकायत पर केस दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि दो युवक फुटेज में आए हैं। इनके अलावा, और कितने लोग साथ में थे, इसका सुराग अभी नहीं लगा है। जो दो युवक सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए हैं, उनके हुलिए से ज्यादा अन्य कोई जानकारी अभी तक नहीं मिली है।
चर्च के मुख्य गेट पर स्थापित थी मूर्ति
173 साल पुराने ऐतिहासिक चर्च में यीशु मसीह की मूर्ति मैन गेट के ठीक बीच में स्थापित थी। मूर्ति के चारों तरफ कांच का फ्रेम था। शरारती तत्वों ने शीशा तोड़कर मूर्ति को निकाला और फिर खंडित कर दिया। पुलिस ने स्थानीय लोगों से भी पूछताछ की है। बताया जाता है कि 11 बजकर 30 मिनट तक रात में लोगों का आना-जाना लगा था। बाद में ये वारदात हुई। चर्च के बाहर कोई कैमरा नहीं है। शरारती तत्व साथ वाली रोड पर लगे कैमरे में कैद हुए हैं। एक सफेद कलर की एक्टिवा भी दिखाई दी है।
ये है चर्च का इतिहास
अंबाला कैंट की कैथोलिक होली रिडीमर चर्च को गॉथिक स्टाइल में बनाई गई है। अंग्रेजों ने साल 1848 में इसका निर्माण करवाया था। उस वक्त इसके प्रिस्ट इटली के कैपूसिन फादर विनेंस थे। बाद में साल 1908 में इसका पुनर्निर्माण किया गया। ये चर्च तीन मंजिला है, जिसमें दूसरी मंजिल पर भी श्रद्धालु प्रेयर के दौरान मौजूद रहते थे। इसके सबसे ऊपरी मंजिल पर तीन बड़ी घंटियां हैं, जिनकी गूंज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई देती थी, लेकिन अब इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। प्रेयर के दौरान यहां पर अंग्रेज सैनिक अपने साथ बंदूकें भी रखते थे।
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