सार
मलिक रविवार को हरियाणा के चरखी दादरी स्थित बाबा स्वामी दयाल धाम पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। इसी दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत की।
पानीपत। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घमंडी बताया है। उन्होंने कहा कि मैं जब कृषि कानून के मसले पर प्रधानमंत्री जी से मिलने गया तो मेरी 5 मिनट में उनसे लड़ाई हो गई। वे बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा कि हमारे 500 लोग मर गए तो उन्होंने कहा कि मेरे लिए मरे हैं? मैंने उनसे कहा कि आपके लिए ही तो मरे थे, जो आप राजा बने हुए हो... मेरा झगड़ा हो गया। इसके बाद उन्होंने कहा कि अब आप अमित शाह से मिल लो। मैं अमित शाह से मिला...और उन्होंने मुझसे कहा कि सत्यपाल इसकी (PM Modi) अक्ल मार रखी है लोगों ने, तुम बेफिक्र रहो, मिलते रहो। यह किसी न किसी दिन समझ जाएगा।
मलिक रविवार को हरियाणा के चरखी दादरी स्थित बाबा स्वामी दयाल धाम पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। इसी दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कृषि कानूनों को वापस लेने के सरकार के फैसले पर कहा कि प्रधानमंत्री ने जो कहा, उसके अलावा और कह भी क्या सकते थे? हमने अपने पक्ष में फैसला कराया है। मलिक ने कहा कि वे राज्यपाल, मंत्री, सांसद और विधायक रह चुके हैं। लेकिन सेवानिवृति के बाद उनके पास रहने के लिए अपना मकान नहीं है। हमेशा ईमानदारी से काम किया। यही उनकी ताकत है। इसी ताकत की बदौलत ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पंगा लिया है।
अब दोबारा आंदोलन हुआ तो पद छोड़ देंगे: राज्यपाल
मलिका का कहना था कि लोगों की एकता और सभी परिस्थितियों में डटे रहने की वजह से ही तीनों कृषि कानून वापस हुए हैं। चौधरी चरण सिंह के दिखाए मार्ग पर चलते हुए वे किसी भी स्थिति में किसानों और अपने लोगों का साथ नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि यदि दोबारा से आंदोलन हुआ तो वे राज्यपाल पद भी छोड़ देंगे। हालांकि, उन्होंने भ्रष्टाचार पर किसी तरह का समझौता ना करने की बात कहने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ भी की है।
किसानों के मसले पर मुखर रहे हैं सत्यपाल मलिक
बता दें कि मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक कई बार किसानों के मुद्दे पर सरकार की लाइन से हटकर बेबाक बयान दे चुके हैं। कई बार वह सरकार की आलोचना भी कर चुके हैं। हालांकि कृषि कानूनों की वापसी के बाद मलिक ने पीएम मोदी की जमकर प्रशंसा भी की थी। उन्होंने फैसले का स्वागत किया था और कहा था कि देर आए, दुरुस्त आए।