सार

हरियाणा (Haryana) की खट्टर सरकार (Khatar Government) ने आरक्षण को लेकर नए नियम लागू किए हैं। इसके तहत क्रीमी लेयर (Creamy layer) को लेकर केंद्र सरकार के मापदंडों को कम करते हुए इसकी सीमा 6 लाख रुपए कर दी गई है। 

चंडीगढ़। हरियाणा की मनोहर लाल खट्‌टर (Manohar lal Khattar) सरकार ने पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण के लिए नए नियम बनाए हैं। इसके तहत 6 लाख रुपए से अधिक सालाना कमाई (Income) वाले पिछड़ा वर्ग के परिवारों के बच्चों को सरकारी नौकरियों (Government Jobs) और शिक्षण संस्थानों (educational institutions) में आरक्षण (reservation) का लाभ नहीं मिलेगा। इनके अलावा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, UPSC और राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्य, सांसद, विधायक, क्लास वन और क्लास टू अफसरों के बच्चों को भी आरक्षण के दायरे से बाहर रखा गया है। सेना (Army) में मेजर या इससे ऊपर के अधिकारियों और वायुसेना (Air Force) व नौसेना (Navy) में समकक्ष स्तर के अधिकारियों के आश्रितों को भी आरक्षण से बाहर कर दिया गया है। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।  

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाई नई गाइडलाइन 
24 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार की क्रीमीलेयर (Creamy layer) को लेकर जारी अधिसूचनाओं पर ऐतराज जताते हुए हुए इन्हें रद्द कर दिया था। कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार तीन महीने के अंदर नई अधिसूचना जारी करने का  आदेश दिया था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने नए सिरे से क्रीमीलेयर तय की है। 

हरियाणा में इन्हें आरक्षण नहीं: 
- सालाना छह लाख या इससे अधिक आय वाले। पिछले 3 साल में हर साल एक करोड़ रुपए की संपत्ति रखने वालों के बच्चे। निर्धारित सीमा से अधिक जमीन रखने वालों के बच्चों।
- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सांसद, विधायक, संघ लोक सेवा आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, सीएजी और अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के बच्चों को।
- क्लास-1, क्लास-2 के अफसर, बैंक मैनेजर या इसके समकक्ष अधिकारियों के बच्चों को।
- सेना में मेजर, या इससे बड़े पद पर बैठे अफसरों, एयरफोर्स, नेवी और अर्धसैनिक बलों के भी मेजर के समकक्ष अधिकारियों के बच्चों को आरक्षण का फायदा नहीं मिलेगा।

केंद्र के नियम के तहत 8 लाख तक आय वाले क्रीमी लेयर में नहीं 
केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने 2017 में 8 लाख रुपए तक की आय वालों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की श्रेणी में रखा है। यह सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देने वाला कानून लाने के बाद किया गया था। 

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