सार

शहीद की अंतिम यात्रा करीब तीन घंटे में पूरी हुई। जिस रास्ते से शहीद की अंतिम यात्रा गुजर रही थी उसी रास्ते से वहां मौजूद लोगों ने फूल बरसाए। गुरुवार को कश्मीर के राजौरी के हुए आतंकी हमले में हरियाणा के निशांत शहीद हो गए। 

हिसार. जम्मू-कश्मीर के राजौरी में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में शहीद हिसार जिले के हांसी के निशांत मलिक का पार्थिव शरीर सुबह उनके गांव ढंडेरी पहुंचा। शहदी का शव देख मा-पिता बेहोश हो गए। तिरंगे से लिपटा शहीद का शव जैसे ही घर में पहुंचा शहीद निशांत के माता-पिता फूट-फूट कर रोने लगे। इस दौरान वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं। हालांकि वहां मौजूद ग्रामीण शहीद के नाम का नारा लगाकर परिजनों को साहस बढ़ाते रहे। 

3 घंटे में पूरी हुई अंतिम यात्रा
शहीद की अंतिम यात्रा करीब तीन घंटे में पूरी हुई। जिस रास्ते से शहीद की अंतिम यात्रा गुजर रही थी उसी रास्ते से वहां मौजूद लोगों ने फूल बरसाए। 4 कमी की दूरी तय करने में करीब 3 घंटे का समय लगा। शहीद का शव अंतिम दर्शन के लिए गांव के राजकीय स्कूल में रखा गया था। शहीद के अंतिम दर्शन के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। 

पिता ने तिरंगे को माथे पर लगाया
शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस दौरान सेना के जवानों ने शहीद के पिता के हाथों में तिरंगा सौंपा तो पिता ने तिरंगे को माथे से लगा लिया। इस दृश्य को देखकर वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें भर आईं। शहीद का शव आने के बाद माता-पिता और उसकी बहन ने खुद को संभालने की कोशिश की लेकिन उनके आंसू नहीं रूक रहे थे। 

इकलौता बेटा था निशांत
निशांत की 3 बहनें हैं। वो 3 बहनों का इकलौता भाई थी। 19 साल की उम्र में वो सेना में भर्ती हुआ था और 21 साल की उम्र में शहीद हो गया। निशांत मलिक के पिता भी सेना में थे। उन्होंने कारगिल युद्ध की लड़ाई लड़ी थी। निशांत के पिता जयवीर ने बताया कि बेटे के शहीद होने की खबर गुरुवार को ही पता चली थी। निशांत 18 जुलाई को अपनी छुट्टियां खत्म करके वापस कैंप में गया था। बेटे की शहादत पर पिता ने कहा- मुझे अपने बेटे पर गर्व है।

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