भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कवि प्रदीप का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। उन्होंने ऐसी-ऐसी रचनाएं की जिसने भारतीय जनमानस को जगाने का काम किया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में तिरंगा झंडा लोगों में भारतीयता का संचार करता था। एक झंडे के नीचे आने पर सभी के अंदर अंग्रेजों से लड़ने का जज्बा पैदा होता था। मगर 115 साल पहले ऐसा नहीं था हमारा झंडा।
गुजरात के किसानों के एक गांव से शुरू हुआ बारडोली सत्याग्रह जल्द ही पूरे देश की आवाज बन गया। बारडोली आंदोलन ने देश में राष्ट्रीय आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आज हम देश के बारे में चिंतन करते हैं तो लगता है हिंदू-मुस्लिम एकता के बीच गहरी खाई पैदा हो गई। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब अंग्रेजों के खिलाफ हिंदू-मुस्लिम एकता ने मिसाल कायम की थी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई ऐसे नाम थे, जिन्होंने भारतीय जनमानस में आत्मविश्वास का संचार किया। इन्हीं में एक थे अबनिंद्रनाथ टैगोर, जो कि महान रबिन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से ताल्लुक रखते थे।
भारत में अंग्रेजों की एंट्री कैसे हुई यह इतिहास की किताबों में दर्ज है लेकिन वाकई में उस वक्त क्या हुआ था, यह जानना भी जरूरी है।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक बड़ा अध्याय संयुक्त राज्य अमेरिका में घटित हुआ था, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।
पूरा भीखाजी रुस्तम कामा यानी मैडम कामा, जी हां, यही वह नाम था जिनसे ब्रिटिश सरकार भी खौफ खाती थी। अंग्रेजों ने मैडम कामा पर जुल्म किए वे उनकी हिम्मत के आगे हार गए।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कई यूरोपीय लोगों का भी बड़ा योगदान है। उन्हीं में से एक थे बेंजामिन हार्निमैन (Benjamin Guy Horniman) जिन्होंने लंदन में रहकर भारतीयों के लिए काम किया।
मीरा बहन उन विदेशियों में प्रमुख नाम है जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। महात्मा गांधी की करीबी शिष्या, साथ में यात्रा करने वाली आंदोलन में कामरेड की भूमिका निभाने वाली मीरा भारत में 34 वर्षों तक रहीं।