अबदी बानो बेगम (Abadi bano begum) को भारत की पहली मुस्लिम महिला स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए महिलाओं को एकजुट किया था।
भारत के महान साहित्यकारों ने आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया था। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से युवकों में आजादी के लिए लड़ने का जज्बा पैदा किया था।
महात्मा गांधी को अंग्रेज ने दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में सफर करने के चलते बाहर फिंकवा दिया था। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की थी। उन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलकर भारत को आजादी दिलाई।
29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अंग्रेजी सेना के खिलाफ विद्रोह शुरू किया था। मंगल पांडे से अंग्रेज इतने खौफजदा थे कि उन्हें तय तारीख से 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई थी।
सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई में अहम रोल निभाया था। उन्होंने 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'का नारा दिया था। वह हिटलर से मिलने जर्मनी गए थे। हिटलर भी उनकी बुद्धिमत्ता का कायल हो गया था।
बिपिन चंद्र पाल (Bipin Chandra Pal) ने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। वह लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक थे। उन्होंने जातिवाद और अन्य सामाजिक बुराइयों का खुलकर विरोध किया था।
चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) आजादी की लड़ाई में पहली बार असहयोग आंदोलन से जुड़े थे। बाद में वह हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए। उन्होंने काकोरी कांड में सक्रिय रूप से भाग लिया था।
खुदीराम बोस (Khudiram Bose) 18 साल की उम्र में आजादी के लिए शहीद हो गए थे। वह हाथ में गीता लेकर खुशी-खुशी फांसी चढ़ गए थे। उन्होंने मुजफ्फरपुर की सेशन जज किंग्सफोर्ड की हत्या के लिए उनकी कार पर बम फेंका था।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) को अंग्रेज भारतीय अशांति का जनक कहते थे। उन्होंने स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा का नारा दिया था।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह आजादी की लड़ाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद वह आजादी की लड़ाई कूद पड़े थे। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली असेंबली में बम फेंका था। उन्होंने कहा था कि बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत थी।