भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मातंगिनी हाजरा (Mathangini Hazra) का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। 72 वर्ष की आयु में मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाली हाजरा देश को आजाद देखना चाहती थीं।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान तीन नाम देश के हर नागरिक की जुबान पर रहता है। वे तीन नाम हैं, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू। ये तीनों प्रखर राष्ट्रवादी युवा थे जिन्होंने अंग्रेजों के सामने कड़ी चुनौती पेश की थी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई ऐसे क्रांतिकारी रहे हैं, जिन्होंने अकेले दम पर ही अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। इन्हीं क्रांतिकारियों में से एक थे वंचिनाथ अय्यर, जिनसे अंग्रेज सरकार भी खौफ खाती थी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महाराजा बलराम वर्मा के दीवान सर सीपी रामास्वामी अय्यर ने सशस्त्र सेना का विद्रोह दबाने के लिए मार्शल ला की घोषणा की थी। आखिर कौन थे सर सीपी रामास्वामी अय्यर, आप भी जानें।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian freedom movement) के दौरान कई ऐसे भी लोग थे जो भारत की आजादी के लिए लड़े थे। ऐसे ही एकमात्र क्रिस्चियन रहे टाइटस जो गांधीजी के साथ ऐतिहासिक दांडी यात्रा (dandi yatra) में शामिल रहे।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अगस्त क्रांति का आह्वान अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल था। इस आंदोलन में अरूणा आसफ अली भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई धार दी। इस आंदोलन ने अंग्रेजों को यह एहसास दिला दिया कि भारत के लोग सिर्फ आजादी चाहते हैं।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कई ऐसे क्रांतिकारी रहे हैं, जिन्होंने विदेश में रहते हुए भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्हीं में से एक थे श्यामजी कृष्ण वर्मा।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की बात करें तो आदिवासी नेता तिरोत सिंह की बहादुरी को सभी भारतीय सलाम करते हैं। माना जाता है कि उनसे अंग्रेजी सेना भी खौफ खाती थी।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जिन्होंने प्रतिशोध जताया, उनमें मराक्कर्स का नाम भी आता है। वे कभी पुर्तगालियों के सहयोगी थे लेकिन बाद में पक्के दुश्मन बन गए।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कई महान लोगों ने योगदान दिए हैं। ऐसे ही एक क्रांतिकारी विचारक और प्रख्यात वैज्ञानिक थे पीसी रे, जिन्होंने भारतीय जनमानस को राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत किया।