भारत अपनी आजादी का 75वां वर्षगांठ मना रहा है। इस खास मौके पर हम आपको देश को आजाद कराने वाले हीरो और आजाद भारत में योगदान देने वाली शख्सियत के बारे में बता रहे हैं। इस कड़ी में सबसे पहले आपको बताएंगे महापुरुषों के वे 10 नारे जो किसी को भी जोश से भर देंगे।
आजादी के बाद से फैशन की दुनिया में भारत ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं. देश के फैशन डिजाइनरों ने देश में ही नहीं विदेशों में भी अपने हुनर का डंका बजाया है. उनमें से एक नाम अनता डोंगरे का है. जिन्हो मेहनत और लगन से दुनियाभर में नाम कमाया है. आज उनके द्वारा डिजाइन ड्रेस हर लड़की पहनना चाहती है. आज वह 800 करोड़ की कंपनी की मालकिन हैं. आइए जानते हैं अनीता डोंगरे का यहां तक पहुंचने का सफर कैसा रहा... महिलाओं को नहीं थी काम करने की आजादी
भारत के महान साहित्यकारों ने आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया था। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से युवकों में आजादी के लिए लड़ने का जज्बा पैदा किया था।
किसानों ने बढ़े हुए लगान के खिलाफ बारदोली सत्याग्रह किया था। इसका नेतृत्व सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था। आंदोलन की सफलता के बाद वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि मिली थी।
असहयोग आंदोलन के दौरान गोरखपुर के चौरी-चौरा में सत्याग्रहियों ने मार्च निकाला था। पुलिस ने सत्याग्रहियों पर लाठीचार्ज कर दिया था। इसके बाद पुलिस द्वारा गोलीबारी की गई। घटना के विरोध में उग्र भीड़ ने पुलिस चौकी को जला दिया था।
महात्मा गांधी ने भारत में अपने आंदोलन की शुरुआत बिहार के चंपारण से की थी। वह नील की खेती करने वाले किसानों की समस्या दूर करने चंपारण पहुंचे थे। अंग्रेज किसानों को अपनी जमीन के 3/20 भाग पर अनिवार्य रूप से नील की खेती करने के लिए कहते थे।
महात्मा गांधी को अंग्रेज ने दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में सफर करने के चलते बाहर फिंकवा दिया था। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की थी। उन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलकर भारत को आजादी दिलाई।
29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अंग्रेजी सेना के खिलाफ विद्रोह शुरू किया था। मंगल पांडे से अंग्रेज इतने खौफजदा थे कि उन्हें तय तारीख से 10 दिन पहले ही फांसी दे दी गई थी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता थे। उन्होंने आजादी की लड़ाई के लिए कई आंदोलन किए थे। इन आंदोलनों ने देश को आजादी का रास्ता दिखलाया था।
सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई में अहम रोल निभाया था। उन्होंने 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'का नारा दिया था। वह हिटलर से मिलने जर्मनी गए थे। हिटलर भी उनकी बुद्धिमत्ता का कायल हो गया था।