भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक बड़ा अध्याय संयुक्त राज्य अमेरिका में घटित हुआ था, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक बड़ा अज्ञात अध्याय संयुक्त राज्य अमेरिका में घटित हुआ था। यह 1917 का हिंदू-जर्मन षडयंत्र का मामला था।
46 साल की पारसी महिला भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टुटगार्ट में हुई दूसरी 'इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस' में आजादी से 40 साल पहले ही भारत का झंडा फहराया था।
पूरा भीखाजी रुस्तम कामा यानी मैडम कामा, जी हां, यही वह नाम था जिनसे ब्रिटिश सरकार भी खौफ खाती थी। अंग्रेजों ने मैडम कामा पर जुल्म किए वे उनकी हिम्मत के आगे हार गए।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian freedom movement) के दौरान कई भारतीयों ने अभूतपूर्व साहस का परिचय दिया था। उन्हीं में से एक हैं गामा पहलवान।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के मुख्य वास्तुकार भारत के हॉकी जादूगर और दुनिया के अब तक के सबसे महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद थे।
गामा पहलवान की एक दिन की खुराक इतनी थी कि कोई भी इस बात पर यकीन नहीं करेगा। कहा जाता है कि 6 मुर्गे, आधा किलो घी, बादाम और 10 लीटर दूध उनकी एक दिन की खुराक थी।
हॉकी के जादूगर ध्यान चंद ने दिखाया था कि भारतीय किसी मामले में अंग्रेजों से कम नहीं हैं। उनके नेतृत्व में भारत ने तीन बार ओलंपिक गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। फाइनल में जर्मनी को हराने के बाद हिटलर ने ध्यान चंद को अपने देश की नागरिकता और जॉब का ऑफर दिया था।
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। वह कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से बीए करने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने वंदे मातरम् गीत लिखा था। यह गीत आजादी के लिए लड़ने वालों के दिलों में जोश भर देता था।
आजादी के अमृत महोत्सव की इस कड़ी में आज बात वंदे मातरम गीत के रचियता बंकिम चंद चट्टोपाध्याय की। जिनकी कलम ने राष्ट्र के सोए हुए स्वाभिमान को जगाने का काम किया