मीरा बहन उन विदेशियों में प्रमुख नाम है जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। महात्मा गांधी की करीबी शिष्या, साथ में यात्रा करने वाली आंदोलन में कामरेड की भूमिका निभाने वाली मीरा भारत में 34 वर्षों तक रहीं।
इंग्लैंड में जन्म लेने वाली मेडेलीन स्लेड भारत की मीरा बहन कहलाईं। कौन थीं मीरा बहन गांधी के आदर्शों को कैसे अपनाया। आइये जानते हैं
भारत आजादी के अमृत महोत्सव मना रहा है इस कड़ी में हम आपको बता रहे हैं उस क्रांतिकारी की कहानी जिसे सिर्फ 18 साल की उम्र में फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया
भारत अपनी आजादी का 75 वां वर्षगांठ मना रहा है। इस खास मौके पर हम आपको देश के उस सत्याग्रह के बारे में बता रहे हैं जो छूआछूत के खिलाफ किया गया। जिसे वैकोम सत्याग्रह कहा गया
नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। उन्हें दूसरे दिन भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इससे पहले 13 जून को राहुल गांधी पूछताछ के दौरान प्रवर्तन निदेशालय(ED) के अधिकारी उनके जवाब से संतुष्ट नहीं दिखे। पहले दिन उनसे करीब 10 घंटे पूछताछ हुई। इसमें देश-विदेश में बैंक बैलेंस और प्रॉपर्टी के संबंध में भी पूछताछ हुई।
ओके एसआर कुमारस्वामी मुदलियार ने जान देकर तिरंगे की रक्षा की थी। बचपन से ही वे राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रति आकर्षित थे। उनका जन्म इरोड के पास चेन्निमलाई में एक गरीब बुनकर परिवार में हुआ था।
अबदी बानो बेगम (Abadi bano begum) को भारत की पहली मुस्लिम महिला स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए महिलाओं को एकजुट किया था।
भारत के लिए यह गौरव की बात है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा(UNGA) के कामकाज में अब हिंदी भाषा को भी जगह मिलेगी। UNGA ने 10 जून को इस दिशा में एक उल्लेखनीय पहल करते हुए बहुभाषावाद(multilingualism) पर भारत की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया। यानी अब UNGA के कामकाज में हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं को भी तवज्जो मिलेगी।
NH-53 पर सिंगल लेन में 75 किलोमीटर लंबी बिटुमिनस कंक्रीट सड़क बनाने के लिए भारत का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। इसका निर्माण महाराष्ट्र के अमरावती और अकोला के बीच NH-53 पर हुआ है।
1971 की जंग में चिमन सिंह यादव ने अहम रोल निभाया था। उनके पोत पर दुश्मन ने हवाई हमले किए थे। इसके बाद चिमन सिंह बाकी बचे साथियों के साथ तट पर पहुंचे थे। उन्होंने खुद को दुश्मन के सामने लाकर अपने दो साथियों को पकड़े जाने से बचा लिया था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें देखने अस्पताल गईं थी।