सार
जन्म कुंडली (Horoscope) में अशुभ योग की उपस्थिति अशुभ परिणाम देती है। कुंडली में बनने वाले अशुभ योगों में से एक योग है शकट योग (Shakat Yoga)। इस योग के निर्माण से व्यक्ति को जीवन के सभी क्षेत्रों में कठिनाइयों का और अपमान, भय, दंड, चोरी, रिश्तों में दरार और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
उज्जैन. शकट योग व्यक्ति को भोग-विलासिता का जीवन जीने वाला और व्यभिचारी बना देता है। शकट (Shakat Yoga) का मतलब है घूमता हुआ पहिया। जिस का एक हिस्सा कभी ऊपर जाता है कभी नीचे। यही हाल होता है जिनकी जन्म कुंडली में शकट योग होता है। उनके जीवन में कभी दुःख, कभी सुख चलता रहता है कभी अमीर तो कभी गरीब, ये सब इस योग के कारण होता है।
ऐसे बनता है शकट योग (Shakat Yoga)
शकट योग (Shakata Yoga) कुण्डली में तब बनता है जब सभी ग्रह प्रथम और सप्तम भाव में उपस्थित हों। इसके अलावा गुरू और चन्द्रमा की स्थिति के अनुसार भी यह योग बनता है। चन्द्रमा से गुरू जब षष्टम या अष्टम भाव में होता है और लग्न केन्द्र से गुरू बाहर रहता है। तब जन्मपत्री में यह अशुभ योग बनता है। इस योग के होने पर व्यक्ति को अपमान, आर्थिक कष्ट, शारीरिक पीड़ा मानसिक दंश मिलता है, जो व्यक्ति इस योग से पीड़ित होते हैं उनकी योग्यता को सम्मान नहीं मिल पाता है।
शकट योग (Shakat Yoga) भंगयोग
- अगर आपकी कुण्डली में शकट योग है तो इसके लिए परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि इसी तरह कुछ ग्रह स्थिति के कारण अशुभ शकट योग आपकी कुण्डली में बन रहा है तो कुछ शुभ ग्रह स्थिति आपको इससे बचाती भी है।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा बलवान एवं मजबूत स्थिति में होने पर व्यक्ति शकट योग में आने वाली परेशानियों एवं मुश्किलों से घबराता नहीं है और अपनी मेहनत और कर्तव्य निष्ठा से मान सम्मान के साथ जीवन का सुख प्राप्त करता है।
- लग्नेश और भाग्येश के लग्न में मौजूद होने पर जीवन में उतार चढ़ाव के बावजूद व्यक्ति मान सम्मान के साथ जीता है।
- जिनकी कुण्डली में चन्द्रमा पर मंगल की दृष्टि होती है उनका शकट योग भंग हो जाता है। षड्बल में गुरू अगर चन्द्रमा से मजबूत स्थिति में होता है अथवा चन्द्रमा उच्च राशि या स्वराशि में हो तो यह अशुभ योग प्रभावहीन हो जाता है।
- राहु अगर कुण्डली में चन्द्रमा के साथ युति बनाता है या फिर गुरू पर राहु की दृष्टि है तो शकट योग (Shakata Yoga) का अशुभ प्रभाव नहीं भोगना पड़ता है।
- जिस व्यक्ति की कुण्डली में लग्न स्थान से चन्द्रमा या गुरू केन्द्र में हो या फिर शुक्र चन्द्र की युति हो उन्हें शकट योग में भी धन लाभ, सफलता एवं उन्नति मिलती है।
- इसी प्रकार की समान स्थिति तब भी होती है जबकि चन्द्रमा मिथुन, कन्या, वृषभ या तुला राशि में हो और कर्क राशि में बुध शुक्र की युति बन रही हो।
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