Nahay Khay Food Making Rule: नहाय खाय छठ व्रत का पहला दिन होता है, जिसे शरीर और आत्मा की शुद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन घर में सात्विक भोजन बनता है, जिसे व्रती ग्रहण करता है। इस दिन अनजाने में लोग कुछ ऐसी गलती कर बैठते हैं जिससे व्रत टूट सकता है। 

Nahay Khay Vrat Food Guide: छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जिसे शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन उपवास करने वाले व्यक्ति खासतौर पर सात्विक भोजन करना होता है और अगले 2 दिनों के कठोर व्रत की तैयारी करनी होती है। नहाय खाय के दिन बनने वाला भोजन केवल स्वाद के लिए नहीं बल्कि श्रद्धा और नियमों से जुड़ा होता है। इसलिए अगर इस दिन खाना बनाते वक्त कुछ छोटी-छोटी गलतियां हो जाएं, तो व्रत खंडित माना जाता है। आइए जानते हैं कि नहाय खाय के दिन भोग बनाते समय किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए ताकि आपका छठ व्रत पूर्ण और फलदायी हो।

1. भोग बनाते समय घर और रसोई की शुद्धता का खास ध्यान रखें

नहाय खाय के दिन रसोई को पूरी तरह से साफ करना जरूरी होता है। कई लोग सिर्फ गैस स्टोव या किचन प्लेटफॉर्म साफ करके खाना बनाना शुरू कर देते हैं, लेकिन ऐसा करना गलत है। इस दिन पूरा घर, खासकर रसोई, शुद्ध जल से धोनी चाहिए। खाना बनाने से पहले स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और रसोई में जूते-चप्पल न पहनें। अगर रसोई या बर्तन अपवित्र रह जाएं तो व्रत खंडित माना जाता है, इसलिए रसोई की शुद्धता सबसे जरूरी है।

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2. भोग में प्याज-लहसुन और बाजारू मसाले का प्रयोग न करें

नहाय खाय का भोजन पूरी तरह से शुद्ध और सात्विक होना चाहिए। इसमें प्याज, लहसुन, या किसी भी तरह के तामसिक पदार्थ का इस्तेमाल वर्जित है। बहुत से लोग अनजाने में रेडीमेड मसाला पाउडर खाने में इस्तेमाल कर लेते हैं, जिसमें प्याज या लहसुन पाउडर मिला होता है। ऐसे मसाले का उपयोग भोग को अपवित्र बनाता है। बेहतर है कि आप खुद मसाले पीसें या सिर्फ हल्दी, जीरा, धनिया और सेंधा नमक का उपयोग नहाय खाय भोग बनाने के लिए करें।

3. एल्यूमिनियम या स्टील की जगह कांसे या मिट्टी के बर्तनों में भोजन पकाएं

पारंपरिक रूप से नहाय खाय के दिन कांसे या मिट्टी के बर्तनों में भोजन बनाना शुभ माना जाता है। कई बार सुविधा के लिए लोग स्टील या एल्यूमिनियम के बर्तनों में खाना बना लेते हैं। सही और पारंपरिक तरीके की बात करें तो मिट्टी या कांसे के बर्तन न केवल शुद्धता का प्रतीक हैं, बल्कि ये खाने में सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ाते हैं। इसलिए नहाय खाय का भोग मिट्टी, पीतल और कांसे के बर्तों का उपयोग करें।

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4. किसी और के हाथ का खाना न खाएं, खुद शुद्धता से बनाएं भोजन

नहाय खाय के दिन व्रती को अपना भोजन खुद बनाना चाहिए या घर के किसी व्यक्ति को पवित्र एवं शुद्ध करके बनवाना चाहिए। अगर किसी और ने खाना बना दिया और उसने व्रत के नियमों का पालन नहीं किया, तो भोग अशुद्ध हो जाता है।

5. भोग बनाते समय बोलचाल या गुस्सा करने से बचें

भोग केवल शरीर के लिए नहीं, आत्मा की शुद्धि के लिए भी होता है। अगर आप भोजन बनाते समय किसी से बहस करते हैं, गुस्सा करते हैं या मन में नकारात्मक विचार रखते हैं, तो वह भोजन शुद्ध नहीं माना जाता आपके नकारात्मकता का प्रभाव भोग पर पड़ता है, इसलिए साफ और पवित्र मन से भोग बनाएं।

FAQ: नहाय खाय से जुड़े सामान्य प्रश्न

प्रश्न1. नहाय खाय के दिन क्या खाया जाता है?

नहाय खाय के दिन व्रती सात्विक भोजन करते हैं, जिसमें चने की दाल, कद्दू की सब्जी, और अरवा चावल मुख्य रूप से शामिल होता है। खाना सेंधा नमक से बनाया जाता है।

प्रश्न2. क्या नहाय खाय के दिन चाय या कॉफी पी सकते हैं?

नहीं, इस दिन चाय, कॉफी या किसी भी तरह का नशीला पेय वर्जित है। केवल साफ पानी या नींबू पानी पी सकते हैं।

प्रश्न3. नहाय खाय का खाना कितने बजे बनाना चाहिए?

सूर्योदय के बाद स्नान कर सूर्य को जल अर्पित करने के बाद भोजन बनाना शुभ माना जाता है। दोपहर से पहले भोजन तैयार कर लेना चाहिए।