सार

गोवर्धन पूजा पर बनने वाले अन्नकूट की रेसिपी और महत्व जानें। इस विशेष पकवान को बनाने की विधि और इसके धार्मिक significance के बारे में जानकारी।

फूड डेस्क: दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दौरान गोबर से गिरिराज पर्वत बनाकर सात बार उनकी परिक्रमा की जाती है और इस दिन भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाने के लिए अन्नकूट बनाया जाता है। अन्नकूट एक प्रकार की सब्जी होती है, जिसे तरह-तरह की सर्दियों में उगने वाली सब्जियों, भाजी, तरकारी मिलाकर बनाया जाता है। लेकिन इसमें प्याज लहसुन का इस्तेमाल नहीं होता है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आप किस तरीके से अन्नकूट बना सकते हैं।

अन्नकूट बनाने की सामग्री

सामग्री

आलू - 2 (कटे हुए)

गोभी - 1 कप (फूल के टुकड़े)

भिंडी - 1/2 कप (कटे हुए)

बैंगन - 1 कप (कटे हुए)

मटर - 1/2 कप

गाजर - 1/2 कप (कटे हुए)

मूली - 1/4 कप (कटी हुई)

कद्दू - 1 कप (कटे हुए)

टमाटर - 2 (कटा हुआ)

अदरक - 1 इंच का टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)

हरी मिर्च - 2-3 (कटी हुई)

तेल - 2 बड़े चम्मच

हींग - 1 चुटकी

जीरा - 1/2 चम्मच

हल्दी पाउडर - 1/2 चम्मच

लाल मिर्च पाउडर - 1 चम्मच

धनिया पाउडर - 1 चम्मच

गरम मसाला - 1/2 चम्मच

नमक - स्वादानुसार

हरा धनिया - सजावट के लिए

ऐसे बनाएं अन्नकूट

- अन्नकूट बनाने के लिए सबसे पहले एक बड़े बर्तन में सभी सब्जियों को अच्छे से धोकर काट लें।

- कड़ाही में तेल गरम करें, उसमें हींग और जीरा डालें।

- जब जीरा चटकने लगे, तब अदरक और हरी मिर्च डालकर हल्का सा भूनें।

- अब हल्दी, लाल मिर्च, और धनिया पाउडर डालें और मसालों को भून लें।

- कटे हुए टमाटर डालकर अच्छी तरह मिलाएं और टमाटर को नरम होने तक पकाएं।

- अब सभी सब्जियों को डालें और नमक मिलाएं। ढककर 10-15 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।

- सब्जियां जब नरम हो जाएं, तब गरम मसाला डालें और अच्छे से मिला लें।

- हरे धनिया से सजाकर सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाएं उसके बाद इसका सेवन आप भी करें और घर के सभी सदस्यों को करवाएं।

गोवर्धन पूजा में अन्नकूट बनाने के महत्व

सनातन धर्म में अन्नकूट बनाने की प्रथा द्वापर युग से चली आ रही है। अन्नकूट पूजा से पहले नया अनाज लगता है और इसे बनाकर श्री कृष्ण को भोग चढ़ाया जाता हैं। कहते हैं कि अन्नकूट का सेवन करने से लंबी आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं अन्नकूट के दिन गाय-बैल या पशुओं को स्नान करा कर धूप, चंदन लगाया जाता है। फूल माला पहनाई जाती है और गौ माता को मिठाई खिलाई जाती है। इसके बाद गोबर से गिरिराज पर्वत बनाकर परिक्रमा लगाने का भी विशेष महत्व है। भगवान श्री कृष्ण के अलावा गिरिराज पर्वत, देवराज इंद्र, वरुण देव, अग्नि देव और राजा बलि की भी पूजा करने का इस दिन विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवा कर उसे दान दक्षिणा देना चाहिए।

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