सार
डेंगू के बुखार में दवाओं के साथ-साथ घरेलू उपचार भी बहुत जरूरी होता है। जितनी जल्दी प्लेटलेट्स बढ़ती है रोगी उतना क्वीक रिकवर करता है। तो चलिए बताते हैं कुछ घरेलू उपाय।
हेल्थ डेस्क. गर्मी के मौसम में डेंगू के केस बढ़ने लगते हैं। अस्पतालों में बड़ी तादात में इसके मरीज पहुंचते हैं। कुछ गंभीर स्थिति में तो मरीज की जान भी चली जाती है। इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए इम्युनिटी का स्ट्रॉन्ग होना बहुत जरूरी है। लेकिन अगर डेंगू हो जाए तो तुरंत अस्पताल में जाना चाहिए। डॉक्टर के बताए मेडिशिन को लेने के साथ आप कुछ घरेलू उपाय भी जल्द ठीक होने के लिए कर सकते हैं। आइए बताते हैं वो 5 घरेलू उपाय।
गिलोयो
डेंगू के इलाज में गिलोय को काफी फायदेमंद माना जाता है। यह बहुत ही गुणकारी औषधि है जो मेटाबोलिज्म के लिए फायदेमंद होता है। यह इम्युनिटी भी मजबूत करता है।इसमें एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं। इससे प्लेटलेट्स बढ़ता है। आप गिलोय को उबाल कर एक कप हर सुबह पी सकते हैं।
अदरक और शहद
डेंगू के बुखार में अदरक के रस में शहद मिलाकर पीने से भी दर्द और बुखार में राहत मिलती है। शहद में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, वहीं अदरक में भी एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो बीमारी को तेजी से ठीक करने का काम करते हैं। बुखरा, दर्द और सूजन को कम करने में हेल्प करता है।
पपीते की पत्ती का अर्क
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि पपीते की पत्ती का अर्क डेंगू के रोगियों में प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद कर सकता है। पपीते की ताजी पत्तियों को पीसकर उसका रस निकाल लें। इस रस के कुछ बड़े चम्मच दिन में कुछ बार पियें।
मेथी के बीज
माना जाता है कि मेथी के बीजों में ऐसे गुण होते हैं जो बुखार को कम करने और इम्युन सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।मेथी के दानों को रात भर पानी में भिगो दें और अगली सुबह उस पानी को पी लें। आप बीजों को पीसकर पेस्ट बनाकर पानी के साथ भी सेवन कर सकते हैं।
जौ का पानी
जौ का पानी शरीर पर शीतल प्रभाव के लिए जाना जाता है और बुखार को कम करने में मदद कर सकता है। जौ को पानी में उबालें फिर इसे छान लें और इसे गर्म या कमरे के तापमान पर पियें। स्वाद के लिए आप इसमें थोड़ा सा शहद या नींबू का रस मिला सकते हैं।
और पढ़ें:
Summer Season में करना है परफेक्ट एक्सरसाइज, जरूर आजमाएं ये 7 Tips
Heart Attack का इन महिलाओं में सबसे ज्यादा बढ़ जाता है खतरा, जानें क्या कह रही नई रिसर्च