Breast Cancer in Early Stages: कैंसर जैसी बीमारी से लड़ाई में जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। हर महिला को चाहिए कि महीने में कुछ मिनट सिर्फ अपने लिए निकाले, शीशे के सामने खड़ी हों, हल्के से टटोलें और अपने शरीर को पहचानें।

बिजी लाइफस्टाइल में महिलाएं दूसरों की सेहत का ध्यान तो रखती हैं, लेकिन अपनी जांच को अक्सर टाल देती हैं। खासकर ब्रेस्ट हेल्थ, जो कि लाइफ से जुड़ा एक बेहद अहम पहलू है, उसे नजरअंदाज कर देना आम बात है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि एक छोटी-सी गांठ की समय पर पहचान आपकी जान बचा सकती है? 3 में से 1 महिला को किसी न किसी समय breast lump या बदलाव महसूस होता है, लेकिन उनमें से ज्यादा इसे नॉर्मल मानकर छोड़ देती हैं। जबकि सच यह है कि हर गांठ कैंसर नहीं होती, पर हर बदलाव को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

क्यों जरूरी है ब्रेस्ट में गांठों की जांच?

स्तन में गांठें हमेशा खतरनाक नहीं होतीं, कई बार ये हार्मोनल बदलाव, मासिक धर्म या सिस्ट (fluid-filled lumps) की वजह से होती हैं। लेकिन कुछ मामलों में यही गांठें स्तन कैंसर का शुरुआती संकेत भी बन सकती हैं। इसीलिए डॉक्टर और एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि हर महिला को महीने में एक बार खुद से ब्रेस्ट की जांच (Breast Self-Examination) जरूर करनी चाहिए। जांच का मकसद डरना नहीं, बल्कि शरीर को समझना और बदलावों को पहचानना है ताकि अगर कोई समस्या हो, तो उसे शुरुआती अवस्था में ही पकड़ा जा सके।

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कैसे करें ब्रेस्ट स्टेप-बाय-स्टेप जांच 

शीशे के सामने निरीक्षण करें: शीशे के सामने खड़ी हों, कंधे सीधा रखें और हाथ कमर पर। ध्यान से देखें कि दोनों स्तनों का आकार समान है या नहीं, कोई असामान्य सूजन, गड्ढा या त्वचा में झुर्रियां तो नहीं दिख रहीं। अब दोनों हाथ सिर के ऊपर उठाकर फिर से देखें, यह त्वचा के नीचे के बदलावों को पहचानने में मदद करता है।

निप्पल की स्थिति पर ध्यान दें: देखें कि निप्पल अंदर की ओर धंसा हुआ तो नहीं, रंग बदला हुआ है या डिसचार्ज तो नहीं हो रहा। अगर दूध जैसा या ब्लीडिंग हो, तो यह डॉक्टर से तुरंत संपर्क करने का संकेत है।

हाथों से जांच: अब एक हाथ सिर के पीछे रखें और दूसरे हाथ की तीन उंगलियों से गोलाकार मूवमेंट में धीरे-धीरे पूरा स्तन टटोलें। कॉलरबोन से लेकर रिब्स तक, बगल से लेकर छाती के बीच तक। फिर करवट लेकर जांच करें, इस स्थिति में स्तन के निचले हिस्से की गांठें भी महसूस की जा सकती हैं।

बगल की जांच करें: कई बार गांठें स्तन में नहीं, बल्कि armpit (बगल) में बनती हैं। वहां हल्के दबाव से जांच करें कि कोई सख्त हिस्सा या सूजन तो नहीं है।

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क्या हर गांठ कैंसर होती है?

नहीं। अधिकांश गांठें Benign (गैर-कैंसरयुक्त) होती हैं। ये आमतौर पर सिस्ट, फाइब्रोएडेनोमा या संक्रमण (infection) के कारण बनती हैं। लेकिन केवल डॉक्टर ही सही तरीके से बता सकते हैं कि गांठ किस प्रकार की है। यदि कोई गांठ 2-3 हफ्ते में गायब नहीं होती या लगातार बढ़ती जा रही है, तो मेमोग्राम या अल्ट्रासाउंड टेस्ट कराना जरूरी है।

सेल्फ जांच के साथ नियमित मेडिकल चेकअप जरूरी

Breast Self-Examination एक जागरूकता का कदम है, लेकिन इसे वार्षिक क्लिनिकल जांच और मैमोग्राफी के साथ मिलाकर करना चाहिए। 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को साल में एक बार मेमोग्राम टेस्ट कराना चाहिए। ज्यादातर डॉक्टर सलाह देते हैं कि पीरियड्स खत्म होने के 3-5 दिन बाद जांच करें। इस समय स्तन हार्मोनल रूप से कम सेंसटिव रहते हैं और किसी बदलाव को महसूस करना आसान होता है।